Friday, October 2, 2015

02-10-2015


             भक्ति जब भोजन में प्रवेश करती है,
भोजन " प्रसाद "बन जाता है.।
            भक्ति जब भूख में प्रवेश करती है,
भूख " व्रत " बन  जाती है.।
           भक्ति जब पानी में प्रवेश करती है,
पानी " चरणामृत " बन जाता है.।
          भक्ति जब सफर में प्रवेश करती है,
सफर " तीर्थयात्रा " बन जाता है.।
            भक्ति जब संगीत में प्रवेश करती है,
संगीत " कीर्तन " बन जाता है.।
            भक्ति जब घर में प्रवेश करती है,
घर " मन्दिर " बन जाता है.।
         भक्ति जब कार्य में प्रवेश करती है,
कार्य " कर्म " बन जाता है.।
       भक्ति जब क्रिया में प्रवेश करती है,
क्रिया "सेवा " बन जाती है.। और...
           भक्ति जब व्यक्ति में प्रवेश करती है,
व्यक्ति " मानव " बन जाता है..।

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ઓફિસમાં એક મહિલા કર્મચારીની
બદલી થતાં એક મિત્રે તેમને પૂછ્યું,
‘દશ વર્ષ સુધી અહીં નોકરી કર્યા પછી હવે
બીજી ઓફિસમાં એડજેસ્ટ થવાનું બહુ આકરું
લાગશે નહીં ?’
બહેને કહેલું,
‘બિલકુલ નહીં. આ તો ફક્ત દશ વર્ષની વાત
છે, અમે સ્ત્રીઓ બાવીશ તેવીશ વર્ષનો
પિયરનો ગાઢ સંબંધ છોડી સાસરે જઈએ
ત્યારથી જ એડજેસ્ટ થવાનું શીખી લઈએ
છીએ !
સાસરામાં નવા માણસો, નવું ઘર, નવું
વાતાવરણ….. બધું જ નવું હોય છે. એ બધાંને
અનુકૂળ થઈ જવા સિવાય છૂટકો હોતો
નથી. હું પરણીને આવી ત્યારે મારા સાસરે
ખોરાકમાં મરચાનું પ્રમાણ એટલું વધારે
હતું કે જમતી વેળા મારી આંખમાં આંસુ આવી
જતા. આજે અડધો શેર કાચા મરચા ચાવી
જઈ શકું એટલી ટેવાઈ ગઈ છું !’
વાત ખોટી નથી. સ્ત્રીને કુદરતે સ્ટ્રેચેબલ
પ્રકૃતિ આપી છે. તેમણે સંસારની ગમે તેવી
તીવ્ર તીખાશ પચાવી જવી પડતી હોય
છે. મરચાંવાળી રસોઈ શું આખે-આખા
મરચાં છાપ પતિ જોડે પણ જીવન જીવી
લેવું પડે છે.
અનુકૂલન સ્ત્રીઓનો સૌથી મોટો સદગુણ
હોય છે...

समस्त नारी शक्ति ने प्रणाम
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बात बात में "इस्लाम खतरेमें है" कहकर हल्ला मचाने वाले स्वतंत्र भारत में भी हम हिन्दूओको  "दबाते" रहते हैं।........और भारतीय शासन कर्ताओं से अपनी बात मनवा ते रहते हैं।

सोचिए अभी ये हाल है और समग्र विश्वके शक्तिशाली देश भी दहशत में है ......... तो जब "उनका शासन" इस देश पर था तब क्या क्या "जुर्म" किये होंगे ....इन्होंने हमारे पूर्वजों पर......?

 ...........कुछ बातें जो मैं कभी भूल पाया......... पढने के बाद क्या आप भुल पायेंगे    ?

 अत्याचार जो मुगलों, चंगेजों, तुर्कों आदि ने हमारे हिंदू पूर्वजो पर किये
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1- मैं नहीं भूला..... उस कामपिपासु अलाउद्दिन को, जिससे
अपने सतीत्व को बचाने के लिये रानी पद्मिनी ने 14000
स्त्रियो के साथ जलते हुए अग्निकुंड में कूद गयी थीं।
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2- मैं नहीं भूला .....उस जालिम औरंगजेब को, जिसने संभाजी
महाराज को इस्लाम स्वीकारने से मना करने पर तडपा तडपा
कर मारा था।
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3- मैं नहीं भूला.... उस जिहादी टीपु सुल्तान को, जिसने एक
एक दिन में लाखो हिंदुओ का नरसंहार किया था।
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4- मैं नहीं भूला ....उस जल्लाद शाहजहाँ को, जिसने 14 बर्ष
की एक ब्राह्मण बालिका के साथ अपने महल में जबरन
बलात्कार किया था।
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5- मैं नहीं भूला ....उस बर्बर बाबर को, जिसने मेरे श्री राम प्रभुका मंदिर तोडा और लाखों निर्दोष हिंदुओ का कत्ल किया था।
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6- मैं नहीं भूला ....उस शैतान सिकन्दर लोदी को, जिसने
नगरकोट के ज्वालामुखि मंदिर की माँ दुर्गा की मूर्ति के
टुकडे कर उन्हे कसाइयो को मांस तोलने के लिये दे दिया था।
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7- मैं नहीं भूला..... उस धूर्त ख्वाजा मोइन्निद्दिन चिस्ती को,
जिसने संयोगीता को इस्लाम कबूल ना करने पर नग्न कर मुगल
सैनिको के सामने फेंक दिया था।
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8- मैं नहीं भूला .....उस निर्दयी बजीर खान को, जिसने
गुरूगोविंद सिंह के दोनो मासूम   बच्चे फतेहसिंग और जोरावार को
मात्र 7 साल और 5 बर्ष की उम्र में इस्लाम ना मानने पर
दीवार में जिन्दा चुनवा दिया था।
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9- मैं नहीं भूला .....उस जिहादी बजीर खान को, जिसने बन्दा
बैरागी की चमडी को गर्म लोहे की सलाखो से तब तक
जलाया जब तक उसकी हड्डियां ना दिखने लगी मगर उस
बन्दा वैरागी ने इस्लाम स्वीकार नही किया
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10- मैं नहीं भूला .....उस कसाई औरंगजेब को, जिसने पहले संभाजी
महाराज की आँखों मे गरम लोहे के सलिए घुसाए,  बाद मे
उन्हीं गरम सलियों से पुरे शरीर की चमडी उधेडी, फिर भी
संभाजी ने हिंदू धर्म नही छोड़ा था।
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11- मैं नहीं भूला ....उस नापाक अकबर को, जिसने हेमू के 72
वर्षीय स्वाभिमानी बुजुर्ग पिता के इस्लाम कबूल ना करने
पर उसके सिर को धड़ से अलग करवा दिया था।
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12- मैं नहीं भूला ....उस वहशी दरिंदे औरंगजेब को, जिसने
धर्मवीर भाई मतिदास के इस्लाम कबूल न करने पर बीच
चौराहे पर आरे से चिरवा दिया था।
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हम हिंदुओ पर हुए अत्याचारो को बताने के लिए शब्द और पन्ने
कम हैं।

 यदि इस पोस्ट को पढ़कर मेरी तरह आपका खून भी
खौला हो, तो पोस्ट को अपने मित्रों के साथ शेयर ज़रूर करें।
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एक ऐसा सच ....जो आपको आज तक नहीं बताया गया ????
भारत में 3 लाख मस्जिदें हैं जो अन्य किसी देशमें भी नहीं है ।
वाशिंगटन में 24 चर्च हैं
लन्दन में 71 चर्च और इटली के मिलान शहर में 68 चर्च हैं
जबकि अकेले दिल्ली में 271 चर्च हैं ।
लेकिन हिन्दू फिर भी सांप्रदायिक है ?

है किसी सेकुलर के पास इसका जवाब ........???

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मेने ISI का विरोध करते किसी मुस्लिम को नहीं देखा है।

क्या आप जानते हैं ऐसे मुस्लिम को. ....?
पर "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ "का विरोध करते हुए लाखो हिन्दू देखे है ।
मेंने किसी मुस्लिम को होली दीवाली की पार्टी देते नहीं देखा है
पर हिन्दुओ को इफ्तार पार्टी देते देखा है ।
मेने कश्मीर में भारत के झंडे जलते देखे है ,
पर कभी पाकिस्तान का झंडा जलाते हुए मुसलमान नहीं देखा है।

मेने हिन्दुओ को टोपी पहने मजारो पर जाते देखा है ,
पर किसी मुस्लिम को टिका लगाते मंदिर जाते नहीं देखा है ।
मेने मिडियाको विदेशो के गुण गाते देखा है ।
पर भारतके संस्कार के प्रचार करते नहीं देखा है ।
क्या आप ने देखा है?

  कमनशिबि  यह है कि
कुछ हिन्दू तो इसे शेयर भी नहीं करेंगे।

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