Wednesday, August 31, 2016

30-08-2016

(जैन मुनि तरुण सागर जी की दिगंबर काया पर अभद्र टिप्पणी करने वाले संगीतकार विशाल ददलानी और कांग्रेसी चिरकुट तहसीन पूनावाला को जवाब देती मेरी नई कविता)
रचनाकार-कवि गौरव चौहान इटावा उ प्र 🌹
त्याग तपस्या सहनशीलता की महिमा ना जानी,
बॉलीवुड का एक गवैया,बन बैठा है ज्ञानी,
और वाड्रा का जीजा भी देखो पूनावाला,
पाखंडी ने जैन मुनी पर कीचड आज उछाला,
जैसे इनके दल हैं,वैसे दिल हैं इनके काले,
कांग्रेस की पैदाइश हैं,झाडू हाथ संभाले,
खुद की तुम औकात जान लो फिर अपना मुँह खोलो,
पहले संत तरुण सागर के बाल बराबर हो लो,
इच्छाओं की आहुति देना खेल नही बचकाना,
सरल नही है आत्मज्ञान इस दुनिया को समझाना,
कीचड को धोने में खुद गंगा होना पड़ता है,
एक संत को तब जाकर नंगा होना पड़ता है,
जिनवाणी का जिन्हें एक भी अक्षर नही पता है,
जिन्हें दिगंबर और नग्न में अंतर नही पता है,
काम क्रोध पर कठिन नियंत्रण जिनको नही दिखा है,
तन पर शुभ अदृश्य आवरण,जिनको नही दिखा है,
एक देह नंगी देखी बस,मन का मर्म न देखा,
मोक्ष द्वार को दिखलाता ये पावन धर्म न देखा,
पावनता की ज्ञानपीठ पर बोल कहे शैतानी,
मुनि को नंगा बोल गया है ये विशाल ददलानी,
बचपन को दुलार करती,कोमल करुणा से पूछो,
नग्न देह की पावनता,अपनी अम्मा से पूछो,
खुद का धर्म पड़ा लफड़ों में,फैला गड़बड़ झाला,
जैन धर्म पर बोल रहा है पागल पूनावाला,
कवि गौरव चौहान कहे,कुछ अपने पर भी बोलो,
फतवों पर,शरिया पर,बकरे कटने पर भी बोलो,
अरे कपूतों,अय्याशी से बाहर आकर देखो,
तप की शक्ति त्याग की महिमा खुद भी गाकर देखो,
इच्छाओं पर विजय श्री का सुख भी पाकर देखो,
बिन कपड़ों के अपने तन का बोझ उठाकर देखो,
तेल निकल जायेगा केवल पानी याद करोगे,
एक दिवस के तप में अपनी नानी याद करोगे,
जैन समाज अहिंसक है,तुम इसीलिए गुर्राए,
संतो का अपमान किया,फिर मंद मंद मुस्काये,
पैंगबर पर गलती से भी कुछ मुँह से आ जाता,
पूरा मुस.....

Sunday, August 28, 2016

28-08-2016

समंदर सारे शराब होते तो सोचो कितना बवाल होता,
हक़ीक़त सारे ख़्वाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!

किसी के दिल में क्या छुपा है ये बस ख़ुदा ही जानता है,
दिल अगर बेनक़ाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!

थी ख़ामोशी हमारी फितरत में तभी तो बरसो निभ गयी लोगो से,
अगर मुँह में हमारे जवाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!

हम तो अच्छे थे पर लोगो की नज़र में सदा बुरे ही रहे,
कहीं हम सच में ख़राब होते तो सोचो कितना बवाल होता.
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ગઝલ….

એક બાજી જીતવા બાજી,
ઘણી  હારી  ગયો..

ના મળે કિસ્મત વગર,
એ વાત હું માની ગયો..

હાથતાળી દઇ જતી,
એ લાલની રાની મને..

સર વગર બે બાદ’શા નો,
દાવ પણ ખાલી ગયો..

બંધ બાજી પર હતો,  
વિશ્વાસ મારો આંધળો..

એક પત્તુ જોઇ,
મોટી ચાલ એ ચાલી ગયો..

ચાલ મોટી ચાલવામા,  
જીત પણ એની થતી...

સાવ ખોટી ચાલ પર  
મેદાન એ મારી ગયો..

તું ભલે બેઠક બદલ,  
તકદીર ક્યાં બદલાય છે..?

જીતવા લક્ષ્મી ગયો,
ને જીદંગી હારી ગયો...!
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Wednesday, August 24, 2016

24-08-2016

Income tax अधिकारी ने एक वृद्ध करदाता को अपने कार्यालय में बुलाया। करदाता ठीक समय पर पहुँच गया,अपने वकील के साथ।

Income tax अधिकारी:-

"आप तो रिटायर हो चुके हैं। हमें पता चला है कि आप बड़े ठाट- बाट से रहते हैं। आपको इसके लिए पैसे कहाँ से आते हैं?"

करदाता:- "जुएं में जीतता हूँ।"

Income tax वाले:-
"हमें यकीन नहीं"

करदाता :- "मैं साबित कर सकता हूँ। क्या आप एक Demo देखना चाहते हैं?"

Income tax वाला:- "अच्छी बात है। जरा हम भी देखें। शुरूहो जाइए।"

करदाता :- "एक हज़ार रुपये की शर्त लगाने के लिए क्या आप तैयार हैं? मैं यह दावा कर रहा हूँ कि मैं अपनी ही एक आँख को अपने दाँतों से काट सकता हूँ।

Income tax वाले:- क्या!!
नामुमकिन। लग गई शर्त!

करदाता अपनी शीशे की एक कृत्रिम आँख निकालकर, अपने दाँतों से काटा। Income tax वाले ने हार मान ली है और एक हज़ार रुपया उस बनिए को दिया।

करदाता  कहता है "अब दो हज़ार की शर्त लगाने के लिए तैयार हो? मैं अपनी दूसरी आँख को भी काट सकता हूँ।"

Income tax वाले ने सोचा, जाहिर है कि यह अँधा तो नहीं है। उसकी दूसरी आँख शीशे की नहीं हो सकती। कैसे कर पाएगा, देखते हैं। फिर कहा "लग गई शर्त"

करदाता ने अपनी नकली दाँत मुँह से निकालकर, अपने आँख को हलके से काटा।

Income tax वाला हैरान हुआ पर कुछ कह नहीं सका।चुपचाप दो हज़ार रुपये अदा किए।

करदाता  ने आगे कहा: चलो एक और मौका देता हूँ तुम्हें। दस हज़ार की शर्त लगाने के लिए तैयार हो?"

Income tax वाले ने कहा "अब कौनसी बहादुरी का प्रदर्शन करोगे?"

करदाता ने कहा "आपके कमरे में कोने में कूडे का डिब्बा देख रहे हो? मेरा दावा है कि मैं यहाँ आपके मेज के सामने खड़े होकर, सीधे उस डिब्बे के अंदर थूक विसर्जन कर सकता हूँ। आपके टेबल पर एक बूँद भी नहीं गिरेगी।"

वकील चिल्लाया मत लगाओ,
मत लगाओ।

पर इनकम टैक्स वाला नहीं माना
Income tax वाले ने देखा कि दूरी १५ फुट से भी ज्यादा है और कोई भी यह काम नहीं कर सकेगा और अवश्य इस बनिए से तो यह नहीं हो सकेगा। बहुत सोचकर, अपने खोए हुए पैसे को वापस जीतने की उम्मीद से, शर्त लगाने के लिए राजी हो गया।

वकील ने माथा ठोक लिया

करदाता  मुंह नीचे करके, शुरू हो गया पर उसकी कोशिश नाकामयाब रही।

Income tax वाले की टेबल को थूक से खराब कर दिया। पर Income tax वाला बहुत खुश हुआ

पर उसने देखा
करदाता का वकील रो रहा है।

उसने पूछा "क्या बात है,
वकील भाई?"

वकील ने कहा
"आज सुबह इस शैतान ने मुझसे बीस हज़ार की शर्त लगाई थी, कि वह आप इनकम टैक्स वालों के टेबल पर थुकेगा और वो बजाय नाराज होने के इससे खुश होंगे।"

और जेटली जी ऐसे करदाताओं से
IDS में सरेंडर की उम्मीद कर रहे हैं?
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Tuesday, August 23, 2016

23-08-2016

सेक्युलर की परिभासा
"सेक्युलर"(धर्म निरपेक्ष) कौन है...???

1. जिसके दिल मे 90 करोड़ देश भक्तो के लिए
नफ़रत और 25 करोड़ गद्दारों के लिए प्यार हो,
उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!

2. जिसे भारत माँ के दूध से भरे आँचल से
ज्यादा सुकून पाकिस्तान की खून से सनी लुँगी
मे मिलता हो,
उसे "सेक्युलर" कहते हैं...!!!

3. जिस की निगाह मे आतंकवादी एक हाड़ माँस
और दर्द सहने वाले मासूम और सेना का जवान
तनख़्वाह पर मरने वाला रोबोट है,
उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!

4. जिस की निगाह मे 5 बार की नमाज़ तानसेन
का मधुर संगीत और वन्दे मातरम दंगे का
आह्वान हो,
उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!

5. जिनकी निगाह मे स्कूल मे श्रीमदभगवत
गीता पढ़ाना सांप्रदायिक, पर हर स्कूल मे
अपना नाम भी ठीक से ना बता पाने वाले मासूम
को भी सेक्स शिक्षा देना राष्ट्रभक्ति हो,
उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!

6. जिन की निगाह मे दिल्ली मे 5 दुर्दांत
आतंकियों को मार गिराने वाला वीर मोहनचंद्र
शर्मा देशद्रोही और देवी रूप एक हिंदू साध्वी
प्रज्ञा को चमड़े के बूट से मारने वाला एक
सच्चा राष्ट्रभक्त हो,
उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!

7. जिस की निगाह मे कुण्डा , UPमे मरने वाले
जियाउल हक की बीबी के आँसू मोती से भी
अनमोल थे।जो गौमांस रखने वाले अखलाख
की मौत पर छाती पिटता हो ..और सीने पर
गोली खाए बिहार रेजिमेंट के जवानो के परिवार
का अनशन एक ड्रामा हो,
उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!

8. जिस के हिसाब से दर्द सिर्फ़ गुजरात के
मुसलमान को होता है। कश्मीर, केरल, हैदराबाद
और आसाम के हिंदुओ को नही,
उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!

9. जिन की निगाह मे जिहाद पढ़ा रहे हज़ारों
मदरसे खुलना देश का विकास और मातृभूमि की
वंदना करती आरएसएस की एक भी शाखा
खुलना देश का विनाश हो,
उसे सेक्युलर कहते हैं...!!!

कोई शक!

अब आप खुद फ़ैसला करो की फाँसी पर आतंकवादियों से पहले किस को लटकना चाहिए...!!

जय श्री राम!!
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कुछ करना है, तो डटकर चल,
थोड़ा दुनियां से हटकर चल,
लीक पर तो सभी चल लेते है,
कभी इतिहास को पलटकर चल,
बिना काम के मुकाम कैसा ?
बिना मेहनत के, दाम कैसा ?
जब तक ना हासिल हो मंज़िल,
तो राह में, राही आराम कैसा ?
अर्जुन सा निशाना रख मन में,
ना कोई बहाना रख !
लक्ष्य सामने है,
बस उसी पे अपना ठिकाना रख !!
सोच मत, साकार कर,
अपने कर्मो से प्यार कर !
मिलेगा तेरी मेहनत का फल,
किसी और का ना इंतज़ार कर !!
जो चले थे अकेले,
उनके पीछे आज मेले है ...
जो करते रहे इंतज़ार,
उनकी जिंदगी में आज भी झमेले है।
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घंउ खावाथी शरीर फुले,
ने   जव   खावाथी जुले,
मगने   चोखा   ना  भूले,
तो बुद्धि ना बारणा खुले....

घंउने  तो  परदेशी जाणुं,
जव    छे    देशी   खाणुं,
मग नी दाळ ने चोखा मळे,
तो   लांबु   जीवि   जाणुं....

गायना घी मां रसोई  रांधो,
तो शरीर नो मजबूत बांधो,
ने तलना तेलनी मालीशथी,
दुखे   नहीं  अेकेय  सांधो....

गायनुं  घी  छे  पीळु  सोनुं,
ने  मलाई   नुं   घी   चांदी,
हवे  वनस्पति  घी  खाइने,
थाय  सारी   दुनिया  मांदी...

मग   कहे  हुं  लीलो  दाणो,
ने     मारे      माथे    चांदु ,
बे-चार  महीना  मने  खाय,
तो  माणस  उठाडु   मांदु....

चणो   कहे  हूं  खरबचडो,
मारो पीळो   रंग   जणाय,
जो रोज पलाळी मने खाय,
तो   घोड़ा   जेवा   थाय....

रसोई  रांधे  जो  पीतळमां,
ने   पाणी   उकाळे  तांबु ,
जे  भोजन  करें  कांसामां,
तो   जीवन   माणे  लांबु....

घर  घर  मां  रोगना खाटला,
ने  दवाखाना   मां   बाटला,
फ्रीज ना ठंडा पाणी पी ने,
भूली  गया   छे   माटला....

पूर्व  ओशिके  विधा  मळे,
दक्षिणे     धन     कमाय,
पश्चिमे     चिंता   उपजे,
उतरे       हानि     थाय.....

उंधो   सुवे   ते  अभागीयो,
चतो   सुवे    ते    रोगी ,
डाबे  तो  सहु  कोई  सुवे,
जमणे   सुवे   ते   योगी.....

आहार  अेज  अौषध  छे,
त्यां   दवानुं    शुं    काम,
आहार  विहार  अज्ञानथी,
दवाखाना  थया  छे जाम....

रात्रे   वहेला   जे   सुवे,
वहेला   उठे    ते   विर,
प्रभु भजन पछी भोजन,
कहेवाय   अे   नरविर.....

🎄🎄धन्यवाद 🎄🎄
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એક ઓટોમોબાઇલ એન્જીનીયરે અફ્લાતૂન કાર બનાવી. કારને જોઇને જ લોકોની આંખો આશ્વર્યથી પહોળી થઇ જાય એવી અદભૂત કાર હતી. એન્જીનિયર કંપનીના માલીકને સરપ્રાઇઝ આપવા માંગતો હતો એટલે ગેરેજના અંદરના ભાગમાં છુપી રીતે આ કાર બનાવવામાં આવી હતી. કાર તૈયાર થયા પછી કંપનીના માલિકને જાણ કરવામાં આવી.

કંપનીના માલિક ગેરેજના અંદરના ભાગે આવ્યા અને કારને જોઇને રીતસરના નાચવા લાગ્યા. કાર બનાવનાર એન્જીનિયરને ભેટીને અભિનંદન આપ્યા અને એન્જીનિયર માટે મોટી રકમના ઇનામની જાહેરાત કરી. કારને હવે ગેરેજના અંદરના ભાગમાંથી બહાર લાવીને પ્રદર્શન માટે મુકવાની હતી. ડ્રાઇવર ગાડી ચલાવીને દરવાજા સુધી આવ્યો પછી અટકી ગયો. દરવાજાની ઉંચાઇ કરતા ગાડીની ઉંચાઇ સહેજ વધુ હતી. એન્જીનિયર આ બાબતને ધ્યાને લેવાનું ભૂલી ગયેલો.

ત્યાં હાજર જુદી-જુદી વ્યક્તિઓએ જુદા-જુદા સુચનો આપવાના ચાલુ કર્યા. એકે કહ્યુ 'દરવાજાનો ઉપરનો ભાગ તોડી નાંખો, ગાડી નીકળી જાય પછી ફરીથી ચણી લેવાનો'. બીજાએ કહ્યુ 'ઉપરનો ભાગ તોડવાને બદલે નીચેની લાદી જ તોડી નાંખો અને ગાડી નીકળી ગયા પછી નવી લાદી ચોંટાડી દેવાની' ત્રીજાએ વળી કહ્યુ ' ગાડી દરવાજા કરતા સહેજ જ ઉંચી દેખાય છે એટલે પસાર થઇ જવા દો. ગાડીના ઉપરના ભાગે ઘસરકા પડે તો ફરીથી કલર કરીને ઘસરકાઓ દુર કરી શકાય'.

આ બધા સુચનો પૈકી ક્યુ સુચન સ્વિકારવું એ બાબતે માલિક મનોમંથન કરતા હતા. માલિક અને બીજા લોકોને મુંઝાયેલા જોઇને વોચમેન નજીક આવ્યો અને વિનમ્રતાથી કહ્યુ, "શેઠ, આ કંઇ કરવાની જરૂર નથી. ચારે વીલમાંથી હવા ઓછી કરી નાંખો એટલે ગાડી સરળતાથી દરવાજાની બહાર નીકળી જશે" માલિક સહિત બધાને થયુ કે વોચમેનને જે વિચાર આવ્યો એ વિચાર આપણને કોઇને કેમ ન આવ્યો ?

જીવનમાં આવતી દરેક સમસ્યાને નિષ્ણાંત તરીકેના દ્રષ્ટિકોણથી ન જુવો. મોટાભાગની સમસ્યાઓના ઉકેલ બહુ સરળ હોય છે પણ વધુ પડતા વિચારોથી આપણે સમસ્યાને ગૂંચવી નાંખીએ છીએ.બીજુ કે મિત્રો અને સગા-સંબંધીઓના ઘરના દરવાજા કરતા આપણી ઉંચાઇ વધી જાય અને અંદર પ્રવેશવામાં મુશ્કેલી થાય તો થોડી હવા ( અહંકાર ) કાઢી નાંખવી પછી આરામથી પ્રવેશ કરી શકાશે.
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Tuesday, August 16, 2016

16-08-2016

जाने कितने झूले थे फांसी पर, 
कितनों ने गोली खाई थी ।
पर झूठ देश से बोला कोरा, 

कि चरखे से आजादी आई थी ।।


चरखा हरदम खामोश रहा, 
और अंत देश को बांट दिया ।
लाखों बेघर, लाखो मर गये, 

जब गांधी ने बंदरबांट किया ।।

जिन्ना के हिस्से पाक गया, 

नेहरू को हिन्दुस्तान मिला ।
जो जान लुटा गये भारत पर, 

उन्हें न कुछ सम्मान मिला ।।

जो देश के लिए जिये, 

मरे और फांसी के फंदे पर झूल गये ।
हमें गांधी नेहरू तो याद रहे, 

पर अमर पुरोधा हम भूल गए ।।
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भले ही गांधी की धोती , तेरे खातिर गहना था .. 
मुझे दिखादो बस वो फंदा, जिसे भगत सिंह ने पहना था ...  

चलो मान लिया कि चरखे ने ही, उन सारे अंग्रेजों को पटका था ... 
पर हमको देदो वो पावन रस्सी , जिस पर मेरा बिस्मिल लटका था.. 

हम मान रहे कि नेहरू ने ही, भारत आज़ाद कराया था ... 
पर हमें सुना दो फिर वो धुन, जिसे राजगुरु ने गाया था .. 

चलो आजादी के महायुद्ध में, सारा कार्य तुम्हारा था .. 
पर हमें दिला दो वो अंतिम गोली , जिसे शेखर ने खुद को मारा था
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एक यहूदी लोककथा है।

एक फकीर किसी बंजारे की सेवा से बहुत प्रसन्न हो गया। और उस बंजारे को उसने एक गधा भेंट किया। बंजारा बड़ा प्रसन्न था गधे के साथ, अब उसे पैदलयात्रा न करनी पड़ती। सामान भी अपने कंधे पर न ढोना पड़ता। और गधा बड़ा स्वामिभक्त था।

लेकिन एक यात्रा पर गधा अचानक बीमार पड़ा और मर गया। दुख में उसने उसकी कब्र बनायी, और उस कब्र के पास बैठकर रो रहा था कि एक राहगीर गुजरा।

उस राहगीर ने सोचा कि जरूर किसी महान आत्मा की मृत्यु हो गयी। तो वह भी झुका कब्र के पास। इसके पहले कि बंजारा कुछ कहे, उसने कुछ रुपये कब्र पर चढ़ाये। बंजारे को हंसी भी आयी। लेकिन तब उस भले आदमी की श्रद्धा को तोड़ना भी ठीक मालूम न पड़ा। और फिर उसे यह भी समझ में आया कि यह तो बड़ा उपयोगी व्यवसाय हो गया।

फिर वह उसी कब्र के पास बैठकर रोता, यही उसका धंधा हो गया। लोग आते, गांव-गांव खबर फैल गयी कि किसी महान आत्मा की मृत्यु हो गयी; और गधे की कब्र किसी पहुंचे हुए फकीर की समाधि बन गयी। ऐसे वर्ष बीते, वह बंजारा बहुत धनी हो गया।

फिर एक दिन जिस सूफी साधु ने उसे यह गधा भेंट किया था वह भी यात्रा पर था और उस गांव के करीब से गुजरा। उसे भी लोगों ने कहा, एक महान आत्मा की कब्र है यहां, दर्शन किये बिना मत चले जाना। वह गया। देखा वहां उसने इस बंजारे को बैठा, तो उसने कहा, अरे! किसकी कब्र है यह? और तू यहां बैठा क्यों रो रहा है? उस बंजारे ने कहा, अब आप से क्या छिपाना, जो गधा आपने दिया था, उसी की कब्र है। जीते जी भी उसने बड़ा साथ दिया, मरकर और भी ज्यादा साथ दे रहा है। सुनते ही फकीर खिलखिलाकर हंसने लगा। उस बंजारे ने पूछा, आप हंसे क्यों? फकीर ने कहा, तुझे पता है, जिस गांव में मैं रहता हूं वहां भी एक पहुंचे हुए महात्मा की कब्र है। उसी से तो मेरा काम चलता है। वह किस महात्मा की कब्र है, तुझे मालूम? उसने कहा मुझे कैसे मालूम, आप बतायें। उसने कहा, वह इसी गधे की मां की कब्र है।

धर्म के नाम पर अंधविश्वासों का बड़ा विस्तार है। धर्म के नाम पर थोथे, व्यर्थ के क्रियाकांडों, यज्ञों, हवनों का बड़ा विस्तार है। फिर जो चल पड़ी बात, उसे हटाना मुश्किल हो जाता है। जो बात लोगों के मन में बैठ गयी, उसे मिटाना मुश्किल हो जाता है। और इसे बिना मिटाये वास्तविक धर्म का कोई जन्म नहीं हो सकता। अंधविश्वास न हटे, तो धर्म का दीया जलेगा ही नहीं। अंधविश्वास उसे जलने ही न देगा |

-ओशो
जिनसूत्र--(भाग--2) प्रवचन--3

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16-08-2016

સારું થયું આઝાદ થઇ ગયા

સારું થયું આઝાદ થઇ ગયા

એ ગોરા સાલ્લા રસ્તા પર થુકવા દેતા નોતા
રસ્તા પાણી થી ધોતા હતા
આપણે કેટલા નસીબ વાળા ગમે ત્યાં થૂકી શકયા..
સારું થયું આઝાદ થઇ ગયા

તે અંગ્રેજો ગધેડા અનાજ માં ભેળસેળ કરવા દેતા નોતા
મૂરખા રેશન માં સારું અનાજ આપતા
કેટલા ભાગ્યશાળી કે હવે..
દૂધ દવા અનાજ માં બેફામ ભેળસેળ કરવા મુકત થયા
સારું થયું આઝાદ થઈ ગયા

એ મૂરખ અંગ્રેજો શિક્ષણ નો વેપાર કરવા દેતા નોતા
સારું ઉચ્ચ ગુણવત્તા નું શિક્ષણ મફત આપતા હતા
હવે શિક્ષણ નો વેપાર કરી યુવાનો ની જીંદગી બરબાદ કરવા ભાગ્યશાળી બન્યા
સારું થયું આપણે આઝાદ થઈ ગયા

એ જુલ્મી ધોળિયા અનાથ ગરીબ બાળકો ને ભીખ માગવા દેતા નોતા
દરિદ્રો આવા બાળકો માટે અનાથાશ્રમ બનાવતા હતા
હવે બાળકો નું અપહરણ કરી અપંગ બનાવી ભીખ મગાવી ઉદાર આપણે થયા
સારું થયું આઝાદ આપણે થઈ ગયા

એ ફિરંગીઓ લાંચ ખાવા દેતા નોતા
ગધેડા લાંચ લેનાર ને લાતો મારી કાઢી મૂકતા હતા
હવે આપણે લાંચિયા ની સમૃધી માં સહભાગી થવા સક્ષમ થયા
સારું થયું આઝાદ થઈ ગયા

સાલા ડરપોક અંગ્રેજો!!
શૂરવીર રાજપૂત થી ગભરાઇ ને
મા- બેન દિકરી સાથે અદબ થી વાત કરતા
આજે આપણ ને રોકનાર કોઈ પણ વ્યક્તિ નથી

સારુ થયુ આપણે આઝાદ થઈ ગયા..!!🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🏼
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ધીમે ધીમે વૃદ્ધિ પામી  વૃધ્ધ થા,

કાં પછી સર્વસ્વ ત્યાગી  બુધ્ધ થા.

સ્નાન હો ઘરમાં કે

હો ગંગા તટે,

છે શરત એક જ

ભીતરથી શુધ્ધ થા.
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Monday, August 15, 2016

15-08-2016

👇जिसने भी लिखा उम्दा लिखा👇

💮यह नदियों का मुल्क है,
पानी भी भरपूर है ।
बोतल में बिकता है,
पन्द्रह रू शुल्क है ।💮

💮यह गरीबों का मुल्क है,
जनसंख्या भी भरपूर है ।
परिवार नियोजन मानते नहीं,
नसबन्दी नि:शुल्क है ।💮

💮यह अजीब मुल्क है,
निर्बलों पर हर शुल्क है ।
अगर आप हों बाहुबली,
हर सुविधा नि:शुल्क है ।💮

💮यह अपना ही मुल्क है,
कर कुछ सकते नहीं ।
कह कुछ सकते नहीं,
बोलना नि:शुल्क है ।💮

💮यह शादियों का मुल्क है,
दान दहेज भी खूब है ।
शादी करने को पैसा नहीं,
कोर्ट मैरिज नि:शुल्क हैं ।💮
:
💮यह पर्यटन का मुल्क है,
रेलें भी खूब हैं ।
बिना टिकट पकड़े गए तो,
रोटी-कपड़ा नि:शुल्क है ।💮

💮यह अजीब मुल्क है,
हर जरूरत पर शुल्क है ।
ढूंढ कर देते हैं लोग,
सलाह नि:शुल्क है ।💮

💮यह आवाम का मुल्क है,
सरकार चुनने का हक है ।
वोट देने जाते नहीं,
मतदान नि:शुल्क है ।💮

💮यह शिक्षकों का मुल्क है,
पाठशालाएं भी खूब हैं ।
शिक्षकों को वेतनमान देने के पैसे नहीं,
पढ़ना,खाना,पोशाक निःशुल्क है ।💮
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बैंगलौर में घूम के जब होटल पहुँचा तो कमरा बहुत गंदा था. बॉय को बुला कर मैं हिंदी में बोला “रुम में झाडू लगा दो” तो उसकी समझ में कुछ नहीं आया.

कन्नड मुझे नही आती थी, हिंदी उसे नही आती थी.

फिर मैने सोचा और दो बार बोला “रुम कैजरीवाल, रूम केजरीवाल”.

वो फौरन दौडा और और झाड़ू लाके कमरा साफ कर दिया. सरजी के कुछ तो फायदे हैं
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Sunday, August 14, 2016

14-08-2016

બૈરી લાવ્યો છે તો હરખાતો નઇ,
હવે પરણ્યો ને તો પસ્તાતો નઈ.

શરુ માં લાગશે એ રૂપ નો અમ્બાર,
ડાકણ જેવી બને તો ગભરાતો નઇ.

અણિયારી આંખો ના ભલે કર વખાણ,
પાછળથી ભાલા જેમ ખૂંચે તો ચિડાતો નઇ.

ઝુલ્ફો ને કહે છે ને ઘનઘોર ઘટા જેવી,
દાળ-શાક માં રોજ આવે તો ખિજાતો નઇ.

કોયલ કન્ઠી કહી પ્રશંસા બહુ કરે છે,
ગાળો નો સુર છેડે તો ડઘાતો નઈ.

નાજૂક નમણી નાગરવેલ જેવા લાગતા હાથ,
વેલણ ના છૂટાં ઘા કરે તો બિયાતો  નઇ.

પગ લાગે છે ને કોમલ પન્ખુડી જેવા,
પાછળથી લાતો મારે તો હેબતાતો નઇ.

બે ચાર દા'ડા લગી લાગશે આ નવું નવું,
રોજ નુ થ્યુ એમ બોલી ને તો ચિલ્લાતો નઇ.
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હવે પરણ્યો જ છે તો ભોગવજે ચુપચાપ,
લડી એની સાથે હાડકાં ને તોડાતો નઇ......

  બધા પરણેલા ને સમર્પિત.   💐😌
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Thursday, August 11, 2016

11-08-2016

समय की .. इस अनवरत बहती धारा में ..
अपने चंद सालों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

जिंदगी ने .. दिया है जब इतना .. बेशुमार यहाँ ..
तो फिर .. जो नहीं मिला उसका हिसाब क्या रखें .. !!

दोस्तों ने .. दिया है .. इतना प्यार यहाँ ..
तो दुश्मनी .. की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

दिन हैं .. उजालों से .. इतने भरपूर यहाँ ..
तो रात के अँधेरों का .. हिसाब क्या रखे .. !!

खुशी के दो पल .. काफी हैं .. खिलने के लिये ..
तो फिर .. उदासियों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

हसीन यादों के मंजर .. इतने हैं जिंदगानी में ..
तो चंद दुख की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

मिले हैं फूल यहाँ .. इतने किन्हीं अपनों से ..
फिर काँटों की .. चुभन का हिसाब क्या रखें .. !!

चाँद की चाँदनी .. जब इतनी दिलकश है ..
तो उसमें भी दाग है .. ये हिसाब क्या रखें .. !!

जब खयालों से .. ही पुलक .. भर जाती हो दिल में ..
तो फिर मिलने .. ना मिलने का .. हिसाब क्या रखें .. !!

कुछ तो जरूर .. बहुत अच्छा है .. सभी में यारों ..
फिर जरा सी .. बुराइयों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
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Wednesday, August 10, 2016

10-08-2016

તો કોના માટે પ્રાર્થના કરું?..........

" ઓ સાહેબ લઇ લ્યોને, માત્ર દસ રૂપિયાની જ છે. ઓ સાહેબ....... ઓ સાહેબ ....."

આ શબ્દો સાંભળી પાછળ જોયું તો એક નાનકડો છોકરો પોતાના હાથમાં રહેલા ફૂલોના હાર બતાવીને આવતા જતા લોકોને તે લેવા વિનવી રહ્યો હતો.

આ દ્રશ્ય જોઈ જરા થોભ્યો કે એટલીવારમાં તે છોકરો પાસે આવી બોલ્યો " સાહેબ લઇ લ્યોને માત્ર દસ રૂપિયાનો જ હાર આપું છું"

મેં કહ્યું" અરે ભલા હું તો દર્શન કરીને બહાર આવ્યો છું , હવે આ લઇ હું શું કરું?" આ શબ્દો સાંભળતા જ પેલા છોકરાનો ચહેરો જરા ફિક્કો પડેલો જણાયો.

તેના ચહેરાને જોઈ હું બોલ્યો " ચાલ હવે મારે આ હારની તો જરૂર નથી પણ એક કામ કર તું આ દસ રૂપિયા રાખ."

મેં ધીમેથી દસ રૂપિયાની નોટ તેના ખિસ્સામાં મૂકી ચાલતી પકડી.થોડીવારમાં પાછળથી ફરી એજ અવાજ સંભળાયો " ઓ સાહેબ , એક મિનિટ ઉભા તો રહો"
આ સાંભળી મેં પૂછ્યું " કેમ ભાઈ હવે શું થયું?"

" અરે સાહેબ તમે હાર તો લીધો જ નહીં અને હારના પૈસા આપી દીધા"

મેં હસતા હસતા જવાબ વાળ્યો કે " એતો મેં તને એમજ ખુશી ખુશી આપ્યા છે. રાખ તારી પાસે , મારે હાર નથી જોઈતો."

છતાં પણ એ બોલ્યો " ના , ના સાહેબ આ હાર તો લેતા જ જાઓ. તમે તે હારના પૈસા ચૂકવ્યા છે."

" અરે ભાઈસાબ મેં કહ્યુંને કે એ હાર નું મારે શું કરવું? હું તો હવે ઘરે જ જાઉં છું."

" તો એક કામ કરો સાહેબ આ હાર તમે ઘરે લેતા જાઓ." સ્મિત સાથે તેના તરફ જોઈ બોલ્યો કે " દીકરા આનું ઘરે હું શું કરું?"

" ના , ના , તમારે હાર તો લેવો જ પડે કેમકે તમે તેના પૈસા ચૂકવ્યા છે." બાળકની જીદ સામે શું બોલવું કઈ સમજ ન પડી અને આટલું જ કહ્યું કે
" એ પૈસા તો મેં તને એમજ આપ્યા છે , પ્રેમથી રાખી લે."

છતાંય જાણે કે એને મારા જવાબથી કંઈ ફેર ન પડતો હોય તેમ ફરીવાર એકનું એક વાક્ય બોલ્યો " હાર તો તમારો જ કેવાય ને તમારે જ લઇ જવાનો."

અંતે કંઈ ન સુજ્યું તો મેં કહ્યું " એક કામ કર , તું મંદિર માં જા અને આજે તું જ આ હાર ભગવાનને ચઢાવી આવજે"

જાણે કે તેને આ રુચ્યું અને તે બોલ્યો " હા સાહેબ એ બરોબર. ચાલો એમજ કરું છું."

મને પણ થયું કે ગજબ છોકરો છે. અને તેની વાતોએ જાણે કે મને પણ વિચારતો કરી મુક્યો. આ વિચારમાંને વિચારમાં હજુ તો હું થોડું આગળ ચાલ્યો હોઇશ ત્યાં ફરી એજ અવાજ કાને અથડાયો " ઓ સાહેબ "

ફરીથી એજ બાળક મારી સામે આવી ઉભો રહ્યો ને આ જોઈ હવે મારા આશ્ચર્યનો પાર ન રહ્યો ને મારાથી સહજ ઊંચા અવાજે બોલાય ગયું " હવે શું છે? હવે તો જા . "

આટલું બોલતા બોલાઈ તો ગયું પરંતુ સામેના બાળકે જે કહ્યું એ સાંભળી હું છ્ક થઇ ગયો અને જાણે કે મને મારા જ બોલાયેલા શબ્દો પ્રત્યે ઘૃણા થવા લાગી. મારા બોલાયેલા શબ્દોની સામે કંઈ પણ પ્રત્યુત્તર આપ્યા વગર એ માત્ર એટલું બોલ્યો

"સાહેબ તમારું નામ તો જણાવો. હું ભગવાન પાસે આ હાર ચઢાવી, તમારું નામ લઇ ભગવાન પાસે તમારી સુખ સમૃદ્ધિ વધે તેવી પ્રાર્થના તો કરી શકું. તમારું નામ ન જાણતો હોઉં તો કોના માટે પ્રાર્થના કરું?"

આ સાંભળી મારી આંખમાંથી સહજ અશ્રુબિંદુ ખરી પડ્યું અને મારુ ખુદનું અસ્તિત્વ જાણે કે ભૂલી ગયો હોઉં તેમ તે બાળકને ભેટી પડ્યો.

થોડીવારે સ્વસ્થતા પ્રાપ્ત થતા વિચાર આવ્યો કે આ બાળકની પ્રાર્થના સાચે જ ઈશ્વર સાંભળશે જ. અને જવાબ આપ્યો કે " દીકરા આપણા નામ તો આ જગતના લોકોએ પાડ્યા છે , ઉપરવાળો તો દરેક ને એક માનવ સ્વરૂપે જ જુએ છે. તો જા દીકરા અને સમગ્ર માનવ જગત માટે પ્રાર્થના કરજે."
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પગ નથી ધરતી ઉપરને આભ માથા પર નથી,
બેઉમાંથી કોઈનો પણ કબજો મારા પર નથી.

પગ પસારું છું હંમેશા હું મારી ચાદર મુજબ,
બોજ કંઈ મારી હયાતીનો આ દુનિયા પર નથી.

મર્દ છું, અશ્રુ વગર પણ રડતાં ફાવે છે મને,
જોઈ લો એકે ઉઝરડો મારા ચ્હેરા પર નથી.

આત્માને પણ સતત ઝળહળતો રાખું છું સદા,
રોશની માટે બધો આધાર દીવા પર નથી.

કેટલી એકલતા મારી ચોતરફ વ્યાપી ગઈ,
એક પણ ચકલીનો માળો મારા ફોટા પર નથી.

સો ટકા, ઘર બદલીને બીજે કશે ચાલ્યા ગયા,
ફૂલવાળો એમના ફળિયાના નાકા પર નથી.

મારી મંઝિલ તો હંમેશા હોય મારા પગ તળે,
હું ખલીલ અત્યારે અંતરિયાળ રસ્તા પર નથી.

-खलील धनतेजवी
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Friday, August 5, 2016

05-08-2016

आजकल एक नया चलन शुरू हुआ है, घर बैठे मोबाईल से बुक कराके कुछ भी मंगा लो...।

मैंने मोती स्वीट्स को फ़ोन लगाया...

tring tring..

"मोतीस्वीट्स मे आपका स्वागत है,
कहिए क्या चाहिए.?"

"मिठाई चाहिए।"

"लड्डू के लिए एक दबाए,
रसगुल्ला के लिए दो दबाए,
काजू कतली के लिए तीन दबाए,
गुलाबजामुन के लिए चार दबाए,
मलाई पड़े के लिए...."

मुझे लड्डू चाहिए थे,
मैंने एक दबाया,

"बूंदी के लिए एक दबाए,
मोतीचूर के लिए दो दबाए,
मगज के लिए तीन दबाए,
सोंठ के लिए चार......"


मैंने दो दबाया.....
मोतीचूर चाहिए।

एक किलो के लिए एक दबाए,
पाँच किलो के लिए दो दबाए,
एक क्विंटल के लिए तीन दबाए..."

गलती से तीसरा बटन दब गया।

डर के मारे मैंने फोन काट दिया ।

पर अगले ही पल मिनट फ़ोन आया -
"आपसे एक क्विंटल मोतीचूर के लड्डू का आर्डर मिला है,
अपना एड्रेस बताए।"

मैं बोला - "मैंने तो कोई फोन नहीँ किया है ।"

"आपके भाई ने किया होगा
इसी नंबर से था..
अपने भाई को फ़ोन दीजिए।"

मैं बोला -
"हम लोग छः भाई हैं,

बड़े से बात के लिए एक दबाए,
उससे छोटे के लिए दो दबाए,
उससे छोटे के लिए तीन दबाए,
उससे छोटे के लिए चार...."

सामने वाले ने फ़ोन काट दिया !!
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Acharya sri Ratnasundar Maharaj saheb na Pravachan na Moti in Gujarati.
આચાર્ય શ્રી રત્નસુંદર મહારાજ સાહેબ ના અલકાપુરી વડોદરા 2016 ના ચાતુર્માસ ના પ્રવચન ના મોતી
 02Aug16

પર્યાપ્ત કે જરૂર કરતા વધારે પૈસા-સંપત્તિ  કલહ , ક્લેશ  કે ઝગડા નું કારણ બને છે ..
મન , પરિવાર અને સંબંધો ને ક્લેશ મુક્ત  બનાવા માટે નીચેના ચાર મુદા ધ્યાન માં રાખો

1.મન ને આગ્રહ - દુરાગ્રહ મુક્ત રાખો 
જીવન જરૂરી ચીજ ની આશા  રાખવી તે અપેક્ષા છે પણ કોઈ ચીજ વગર નહિ જ  ચાલે તે માનવું તે આગ્રહ કે દુરાગ્રહ છે .. દાખલ તરીકે .. ચોમાસા માં આદુ મસાલા વળી ચાઇ તે અપેક્ષા છે … પણ પણ પણ ચાઇ મસાલા વગર ની નહિ જ ચાલે તે  દુરાગ્રહ છે .. તેવી જ રીતે આજે સવારે  બાઝાર તેજી માં છે મને આજે હજાર  રૂપિયા મળવા જોઈ તે અપેક્ષા છે પણ…

2. સંગ્રહ

વસ્તુ નો વધારે પ્રમાણમાં સંગ્રહ તે પણ ક્લેશ નુ કારણ બને છે .. 
જરૂરત કરતા વધારે  કપડાં , ઘરેણાં , પ્લોટ , ફ્લેટ , દાગીના , ગાડી , બંગલા , શેર સર્ટિફિકેટ અને બેંક લોકર્સ … ક્લેશ નું કારણ છે સાવધાન - ઉપાધ્યાય યશોવિજયજી ના ગ્રંથ  પ્રમાણે તો વીલ બનાવ્યા વગર ના માં બાપ નો વારસો આર્થિક સંપન્ન સંતાનો દ્વારા લેવા થી તેઓના મોત નું અનુમોદનાનું પાપ લાગે છે …

3. પરિગ્રહ

સંગ્રહ કરેલ વસ્તુ કોઈ  ને ન આપવાની જીદ્દ તે પરિગ્રહ છે .. તે તમારી મૂર્છા છે …દાખલા તરીકે તમારી નવી કાર કે એક્સટ્રા રહેલ બંગલૉ કે ફ્લેટ  તમારા મિત્રને કે દેરાસર ના ઉપયોગ માટે બહાનું બનાવી વાપરવા ન આપવું તે પરિગ્રહ ની મૂર્છા છે .. નાની વસ્તુ પણ સામે વાળા ને ખુશી થી ન આપવાની મનોવૃત્તિ ને પરિગ્રહ કહી શકાય …

4. વિગ્રહ – તુફાન – મતભેદ

ઉપર ના ત્રણ પરિબળો નો જો તમે સમજ પૂર્વક ત્યાગ નહિ કરો તો .. તમારા જીવન અને મન માં તુફાન લાવી શકે છે ..

મહારાજ સાહેબ  નું વારે વારે  એક  જ કહેવાનું છે કે મારા પ્રવચન થી તમારી જો સોચ , વિચાર અને વર્તન બદલાશે તો તમે ચોક્કસ સારા માર્ગે જવાનું શરુ કરી દીધું છે તેવું માની શકાય ..

શ્રાવક કે  એક ધર્મી વ્યક્તિ નું ઘર ક્યાં હોવું જોઈએ ??

જ્યાં દેરાસર કે મંદિર પાસે હોય , ઉપાશ્રય કે સંત નો  સત્સંગ થઇ તેવી જગ્યા પાસે હોય , સાધર્મિક કે સમાન ધર્મી લોકો રહેતા હોય અને સુપાત્ર દાન થઇ શકતું હોય તેવી જગ્યા ઉત્તમ છે.

મિત્રો .. મહારાજ સાહેબ ની મહેનત  આપણા જીવન માં રંગ લાવે તેવા દિલથી  પ્રયત્ન કરજો અને આ પ્રવચન ને બીજા યોગ્ય લોકો ને મોકલી તેને પણ સારા માર્ગે વાળવાનો પ્રયત્નો કરશો 
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એક સરસ મજાની વાર્તા છે. 

કોલેજના એક પ્રોફેસરે સ્ટુડન્ટ્સને બટાટા લઈ આવવાનું ટાસ્ક આપ્યું.

 પ્રોફેસરે તમામ સ્ટુડન્ટ્સને કહ્યું કે કાલે તમે જેટલા લોકોને નફરત કરતાં હોય એટલા બટાટા લઈ આવજો. 

એક એક બટાટાને તમે નફરત કરતાં હોય એનું નામ આપજો. 
બીજા દિવસે સ્ટુડન્ટ્સ બટાટા લાવ્યા.

 કોઈની થેલીમાં એક તો કોઈની થેલીમાં બે બટાટા હતા. કોઈની થેલીમાં પાંચ-સાત બટાટા હતા તો કોઈની આખી થેલી ભરેલી હતી. 

બધાં સ્ટુડન્ટ્સે પ્રોફેસરને પોતપોતાનીથેલી બતાવી. 
પ્રોફેસરે કહ્યું કે,બહુ જ સરસ. 

હવે તમારે એક જ કામ કરવાનું છે. એક મહિના સુધી આ થેલી તમારે તમારી સાથે લાવવાની છે. 

બધાં સ્ટુડન્ટ્સે કહ્યું કે,ઓકે. 
બે-ત્રણદિવસ તો વાંધો ન આવ્યો પણ પછી બટાટા સડવા લાગ્યા. રોજ વજન ઉપાડવું સ્ટુડન્ટ્સને અઘરું લાગ્યું. ધીમે ધીમે બટાટા કોહવાતા ગયા અને તેમાંથીવાસ આવવા લાગી. આખરે થાકીને સ્ટુડન્ટ્સે કહ્યું કે હવે સડેલા બટાટાની વાસ સહન થતી નથી. અમને છૂટ આપો કે અમે એને ફેંકી દઈએ.

 પ્રોફેસરે હસીને કહ્યું કે,તમે તમારા દિલમાં આવા બટાટા સંઘરી રાખ્યા છે એની તમને ખબર છે? 

નફરત, ગુસ્સો, દુઃખ, ઉદાસી, નારાજગી,વેર અને બીજા કેટલા બટાટા તમે કેટલાં દિવસોથી તમારા દિલમાં લઈને ફરો છો?
એ કોહવાઈ ગયા છે. વાસ આવેછે. તમે તમારી સાથે જ એ લઈને ફરો છો.

 તમને સમજાય છે કે લોકો તમારાથી શા માટે દૂર રહે છે?

 કારણ કે તમે એ બટાટાફેંકતા જ નથી.

 જાવ,આ બટાટા ફેંકી આવો અને સાથે જે અંદર સંઘરી રાખ્યા છે એ બટાટા પણ ફેંકી દેજો.

 સુખી રહેવાનો આ જ સિદ્ધાંત છે કે તમે જે સંઘરી રાખ્યું છે એને હટાવી દો. જે ઓઢી રાખ્યું છે એને ફગાવી દો.
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