Thursday, May 19, 2016

19-05-2016

जैन क्या है ??? या जैनों का क्या क्या है???

(1) 2200 साल पहले पुरे संसार में जैनों की संख्या 40 करोड़ थी..
आज सिर्फ 70 लाख.....

(2) कुतुब मीनार 27 जैन मंदिरों की जैन प्रतिमाओं को तोड़कर बनाया गया है।

(3) St. Xavier ने आज से 500 साल पहले गोवा में प्रतिदिन 20000 जैन युवानो को तोपों से मार दिया था...क्योंकि उन्होंने क्रिस्चियन धर्म अपनाने से मना कर दिया था..

(4)चीन में तकरीबन 1300 साल पहले 28000 जैन मंदिर थे...

(5) इजराइल में सिर्फ 2 भगवान को मानते है,वो है आदेश्वर भगवान के माता पिता---मरूदेवी और नाभिराजा
आज भी संवत्सरी के दिन जेविश लोग इजराइल में सफ़ेद वस्त्र पहनते है,लिफ्ट का उपयोग नहीं करते,मोटर गाडी का उपयोग नहीं करते और सबको सॉरी बोलते है..

(6) मक्का शरीफ में 350 जैन प्रतिमाये थी,आज भी वहा आदिनाथ भगवान की चरण-पादुका है जिनको मुसलमान पूजते है।

(7) नेपाल में सारे मंदिरों में पशु की बलि दी जाती है सिर्फ एक जैन मंदिर को छोड़कर...

(8) उड़ीसा का जगन्नाथपुरी का मंदिर जैन मंदिर है।

(9) तिरुपति का मंदिर जैन मंदिर है और वहा नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा है और यह साबित भी हुआ है। हम लोग कोर्ट में केस भी जीत चुके है।

(10) उत्तराखंड का बदरीनाथ मंदिर जैन मंदिर है और वहा आदिनाथ भगवान् की प्रतिमा है।आज भी वहा जैन विधि से पक्षाल होता है।

(11) 16वी सदी तक गोवा पूरा जैन राज्य था।

(12) दिल्ही की जामा मस्जिद में किसी समय जैन मंदिर था, उसे तोड़कर जामा मस्जिद बनायीं गयी।

(13) आज़ाद भारत में मुसलमानों की संख्या 1947 में 2.5 करोड़ थी आज 30 करोड़ है..

(14) क्रिस्चियन 10 लाख थे और आज 5.5 करोड़ हो गए।
सिर्फ जैनों की जनसँख्या कम होती जा रही है।

जागो जैनों जागो

सारा प्रेरणात्मक जैन इतिहास मुनिराज श्री पद्मसागारजी  म सा द्वारा बताया गया है।

🙏जय महावीर🙏
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सुखी होना है या दुखी..

किसी दिन एक मटका और गुलदस्ता साथ में खरीदा हो और घर में लाते ही 50 रूपये का मटका अगर फूट जाए तो हमे इस बात का दुख होता है,क्योंकि मटका इतनी जल्दी फूट जायेगा ऐसी हमे कल्पना भी नहीं थी पर गुलदस्ते के फूल जो 200 रूपये के है वो शाम तक मुरझा जाए तो भी हम दुखी नहीं होते क्योंकि ऐसा होने वाला ही है यह हमे पता ही था,

मटके की इतनी जल्दी फूटने की हमे अपेक्षा ही नहीं थी,तो फूटने पर दुख का कारण बना,

पर फूलो से अपेक्षा नहीं थी इसलिये वे दुख का कारण नहीं बनें,

मतलब कि जिसके लिए जितनी अपेक्षा ज्यादा उसकी तरफ से उतना दुख ज्यादा,

जितनी अपेक्षा कम,
उतना दुख कम !!!!
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નિખાલસતા તો ગઈ ને
સાથે ભોળપણ પણ ચાલ્યું ગયું
બસ આમ સમજદાર થવામાં
બાળપણ ચાલ્યું  ગયું

ન હતી ચિંતા કાલની,
ન હતો ભૂતકાળ નો અફસોસ,
બસ ભવિષ્યની ચિંતા કરવામાં
બાળપણ ચાલ્યું ગયું

હસી લેતો કોઈપણ વાતે,
ને રડતો પણ ખુલ્લા દિલથી,
હવે, શું કહેશે દુનિયા?
એ વિચારવામાં,બાળપણ ચાલ્યું ગયું

રમતો ખુબ કાદવમાં ને
વરસાદ ને ખુબ માણતો,
હવે રેઇનકોટ પહેરવામાં,
બાળપણ ચાલ્યું ગયું

બનાવ્યા હતા બંગલા માટીના
ખુદના કપડાં બગાડી ને,
ને હવે બધા સામે સારું દેખાવામાં,
 બાળપણ ચાલ્યું ગયું

ભલે થવું હતું ત્યારે મોટું,
પણ મોટપ ન હતી ક્યાંય,
હવે બીજા સાથે દેખાદેખી કરવામાં,
બાળપણ ચાલ્યું ગયું

આવડતી ન હતી પ્રાર્થના,
પણ ઈશ્વર-શ્રદ્ધા સાચી હતી,
ભક્તિ સાથે સ્વાર્થ જોડવામાં,
બાળપણ ચાલ્યું ગયું

*મોટું થવું સમય સાથે*
*એ તો નિયમ છે કુદરતનો,*
*પણ બીજા કરતા*
*પોતાને 'મોટો' કરવામાં,*
*_બાળપણ ચાલ્યું ગયું._*

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