Sunday, May 15, 2016

15-05-2016

Urdu  is, one of the most absorbing and meaningful language indeed !

Nikaah & Janaaza...

The difference  between a  wedding and a  funeral  beautifully captured in a  poem  called :
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था

तेरी डॉली उठी,
मेरी मय्यत उठी,
फूल तुझ पर भी बरसे,
फूल मुझ पर भी बरसे,
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था....
तू  साज गयी,
मुझे सजाया  गया..

तू भी घर को चली,
मैं बी घर को चला,
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था....
तू उठ के गयी,
मुझे उठाया गया...

महफ़िल वहाँ भी थी,
लोग यहाँ भी थे,
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था....
उनका हसना वहाँ,
इनका रोना यहाँ...

क़ाज़ी उधर भी था,
मौलवी इधर भी था,
दो बोल तेरे पढ़े,
दो बोल मेरे पढ़े,
तेरा निकाह पढ़ा,
मेरा जनाज़ा पढ़ा,
फ़र्क़ सिर्फ़ इतना सा था...
तुझे अपनाया गया,
मुझे दफ़नाया गया...
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પ્રેમના નામે હું માણસ મુશળધાર છું,
સાવ ખાલી છે ખિસ્સા પણ માણસ દિલદાર છું,

આંખમાં આંખ નાખી ન જુઓ મને હું પાણીદાર છું,
થઈ જશે પ્રેમ તમને એવો  હું બહુ અસરદાર છું.

લાગણી ની હાટ માં શબ્દો નો કરું હું કારોબાર છું
પ્રેમ ની વાત માં અંદર ને નફરત ના કિસ્સા માં બારોબાર છું...
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