Tuesday, December 15, 2015

15-12-2015

आज हम आपसे चर्चा करना चाहते है .....

शव यात्रा मे आए मेहमानो को भोजन कराने की प्रथा के बारे मे...

मै इसे गलत मानता हूँ

 कारण....

1 जिसके घर मौत का मातम पसरा हो उससे मेहमानो को भोजन कराने की उम्मीद क्यो ?

2  जिस घर मे शास्त्रानुसार सुतक है वहा भोजन क्यो ?

3  मेहमान को भी पता है कि वो समारोह मे नही शवयात्रा मे गया है तो भोजन न बनाये जाने पर नाराजगी क्यो?

4 क्या हमारी परंपरा मे ये रिवाज था  ?

5  आप जिस प्रियजन की शवयात्रा मे गये है उसकी लाश अग्नी की लपटो मे जल रही होती है उसी समय आप गरमागरम सब्जी पुङी खा रहे होते है क्या इतनी ही संवेदना रखते है हम ?

6  जिस शव यात्रा मे हम जोर से बोलना और हँसना गलत मानते है उसी के तुरंत बाद हम मेहमान बनकर भोजन करे क्या ये अच्छी बात है ?

7  क्या दिवंगत व्यक्ति के परिवार को हम दुखी होने का समय भी नही देना चाहते जो घर मे किसी के देहांत होते ही सब्जी पुङी की व्यवस्था मे जुटता है।

8  क्या आज के जमाने मे वाहन के द्वारा कोइ व्यक्ति समय पर घर नही पहुँच सकता है .?

9 क्या हम इतने समझदार हो गए कि हमारी संवेदना मर गई ?

10  क्या शमशान भुमी मे बीसलरी पानी  की जरूरत होनी चाहीए
ये दीखावटी बनना बन्द करो

अगर आप सहमत है तो समाज मे शेयर करे और आज ही प्रण ले कि हम आज से किसी भी शवयात्रा मे भोजन नही करेंगे।।

इसका प्रचार भी करे
और खुद भी अपनाये।
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एक बार किसी रेलवे प्लैटफॉर्म पर
जब गाड़ी रुकी तो एक
लड़का पानी बेचता हुआ निकला....
ट्रेन में बैठे एक सेठ ने उसे आवाज दी,
ऐ लड़के इधर आ....
लड़का दौड़कर आया....
उसने पानी का गिलास भरकर सेठ
की ओर बढ़ाया तो सेठ ने पूछा,
कितने पैसे में?
लड़के ने कहा - पच्चीस पैसे....
सेठ ने उससे कहा कि पंदह पैसे में देगा क्या?
यह सुनकर लड़का हल्की मुस्कान
दबाए पानी वापस घड़े में उड़ेलता
हुआ आगे बढ़ गया....
उसी डिब्बे में एक महात्मा बैठे थे,
जिन्होंने यह नजारा देखा था कि लड़का
मुस्कराय मौन रहा....
जरूर कोई रहस्य उसके मन में होगा....
महात्मा नीचे उतरकर उस लड़के के पीछे- पीछे गए...
बोले - ऐ लड़के ठहर जरा,
यह तो बता तू हंसा क्यों?
वह लड़का बोला....
महाराज, मुझे हंसी इसलिए आई कि सेठजी को प्यास तो लगी ही नहीं थी......
वे तो केवल पानी के गिलास का रेट पूछ रहे थे,...
महात्माजी ने पूछा -
लड़के, तुझे ऐसा क्यों लगा कि
सेठजी को प्यास लगी ही नहीं थी...
लड़के ने जवाब दिया -
महाराज, जिसे वाकई प्यास लगी हो
वह कभी रेट नहीं पूछता...
वह तो गिलास लेकर पहले पानी पीता है...
फिर बाद में पूछेगा कि कितने पैसे देने हैं?
पहले कीमत पूछने का अर्थ हुआ कि
प्यास लगी ही नहीं है....
वास्तव में जिन्हें ईश्वर और जीवन में
कुछ पाने की तमन्ना होती है,
वे वाद-विवाद में नहीं पड़ते....
पर जिनकी प्यास सच्ची नहीं होती,
वे ही वाद-विवाद में पड़े रहते हैं....
वे साधना के पथ पर आगे नहीं बढ़ते.
अगर भगवान नहीं हे तो उसका ज़िक्र क्यो??
और अगर भगवान हे तो फिर फिक्र क्यों ???
मंज़िलों से गुमराह भी ,कर देते हैं कुछ लोग.....
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता..
मित्रो अगर कोई पूछे जिंदगी में
क्या खोया और क्या पाया ...
तो बेशक कहना...
जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी
और जो भी पाया वो भगवान की मेहरबानी थी ....
शब्द गहरे हैं समजो तो सोना ...
न समजो तो पीतल....
बस अंत में....दो लाईन...
खुबसूरत रिश्ता है मेरा और भगवान के बीच में,
ज्यादा मैं मांगता नहीं और कम वो देता नही...........
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1-जहाँ एक के बाद एक मुसीबत आती रहे,उसका नाम है संसार।
2-दुर्जन-जो सज्जनों की सज्जनता का दुरूपयोग करे।
3-सोचा हुआ कभी पूरा नहीं होता।
4-करके नहीं,कुछ न करके महान बना जाता है।
5-सामग्री मे सुखबुद्धि,मानसिक दरिद्री की पहचान है।
6-जो देगा वो पायेगा,जो नहीं देगा वो पछतायेगा।
7-जिनने मन की नहि मानी,वे ज्ञानी और जिनने मन की मानी,वे अज्ञानी।
8-भोग रोग है और ज्ञान औषधि।
9-बिना चाहे जो मिले वो सम्मान और माँगना पड़े वो मान।
10-भगवान की मानोगे,तो मान चला जायेगा।
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जब भी मन में खराब चिंतन आए तो सावधान हो जाएं ....और सोचे....
                    कि यदि इस समय मृत्यु हो जाए तो क्या गति होगी ?????

सदा याद रखें ...
कि यह संसार  सदा रहने के लिए
 नहीं है । यहां जो आया है उसे एक दिन जाना ही है । यहां केवल आकर जाने वाले ही रहते हैं । लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा कि हम मकान यहां बना रहे हैं,  सजावट यहां कर रहे हैं । वस्तुओं का संग्रह यहां कर रही हैं । लेकिन खुद अगली यात्रा की ओर बढ़ रहे हैं । इस लिए चिंता तो इस बात की होनी चाहिए कि जहां जाना है वहां के लिए कितना कमाया है ???

निश्चित समय पर चलने वाली गाड़ी के लिए भी पहले से सावधानी रहती है कि समय पर ना पहुंचे तो गाड़ी छूट जायेगी । फिर जिस मौत रूपी गाड़ी का कोई पता और समय निश्चित नही । इसके लिए तो हर दम सावधानी रहनी चाहिए । दुनिया में और कुछ निश्चित हो या ना हो । परंतु आदमी एक दिन इस जहान से चला जाएगा यह निश्चित है । आने वाला हर क्षण अवश्य जाने वाला होता है ,यह नियम है ।

हर जन्म दिन हमें याद दिलाता है कि मृत्यु एक वर्ष और करीब आ गई है । इसलिए इस बात को सदा बुद्धि में रखें कि मृत्यु काल की सब सामग्री हमेशा तैयार है । केवल श्वास बंद होने की देर है । श्वांस बंद होते ही चिता की सारी सामग्री एकत्रित हो जाएगी तो विचार करें ...... जैसे सामग्री तैयार है क्या हमारी भी  इतनी तैयारी है ???? अगर आज शरीर छूट जाये तो क्या गति होगी ???? लेकिन अगर हर समय निज आत्मा की स्मृति है तो मृत्यु कभी भी आ जाए कोई चिंता नही .......
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