Tuesday, December 1, 2015

01-12-2015

દિકરીઓ વિષેની હાલતાં ને ચાલતાં મળતી અને વંચાતી અસંખ્ય પોસ્ટની વચ્ચે જો દિકરાઓની કોઇ પોસ્ટ વાંચીએ તો થોડુંક નવીન લાગે...
અને ગમશે ય કદાચ તમને, મારી આ કવિતા

~દિકરો ~
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શાંત, ઠરેલ, મીઠડી જો દિકરી,
તો 'હો-હા-કોલાહલ' છે દિકરો
ગોટી છે, ને છીપરી છે
કબડ્ડી, બેટ ને બૉલ છે દિકરો
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દિકરી છે હવાની લહેરખી,
તો છે અલમસ્ત તોફાન દિકરો
હુડદંગ, મસ્તી, ઠઠ્ઠા-મશ્કરી,
શેરીનાં નાકાની ઓળખાણ દિકરો
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આંગણાની ભીંત પર કોલસાથી
દોરેલા સ્ટંપનું ચીત્રણ છે દિકરો
ગલીમાં રેસ સાયકલની
અને છોલાયેલ ઘુંટણ છે દિકરો
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નાની બેનની ખોટવાયેલ
સ્કુટીનું ટોચન છે દિકરો
મંદીરની લાંબી લાઇનમાં વચ્ચે
પેસવાનું તીકડમ છે દિકરો
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મમ્મીને મદદ, ને બેનને વ્હાલ,
ને પપ્પાની જવાબદારી, એ દિકરો
અલ્લડ બેફીકરાઈ, તો ક્યારેક
શિષ્ટાચાર, સમજદારી, એ દિકરો
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કોલોનીનાં કાકાની લાકડી
છુપાવવાનાં તોફાન, એ દિકરો
તો બસમાં ઉભેલ વૃધ્ધને દેખી-
'કાકા લ્યો બેસો તમે' વાળા
વિવેકની સાચી શાન, એ દિકરો
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બેનનાં લગ્નમાં રાત ને દિવસ
મહેનતમાં જોડાઇ જતો દિકરો
પણ કન્યા-વિદાયનાં ટાણે ન જાણે
ક્યાં છુપાઈ જતો -એ દિકરો
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બાપનાં ખંભે બેસી દુનિયાને
સમજવાની જીજ્ઞાસા છે દિકરો
તો લાકડી ઘડપણની અને
પરલોકે મોક્ષની આશા છે દિકરો

પિતાનો અથાગ વિશ્વાસ છે આ,
પરિવારનું અભિમાન છે દિકરો
કેટલોય ભલે શેતાન-તોફાની
પણ ઘરની પહેચાન હોય છે દિકરો
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सहिष्णु____असहिष्णु____???

           तुम्हारे आदाब के अभिवादन का उत्तर नमस्कार से देते ही मैं कट्टर हो जाता हूँ । अगर सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ता हूँ तो संघी हूँ ।  अगर धोती कुरता पहनता हूँ तो भारतीय नहीं रहता तुरंत हिन्दू हो जाता हूँ । तिलक लगाने से मुझे डर है कहीं भगवा आतंकी न घोषित हो जाऊँ ।
मैं अपने ही देश में अपने तौर तरीके से क्यों नहीं रह सकता, मेरी पहचान छीनी जा रही है क्यों........????
मुझे मेरे ही घर से निकालने की ये आखिर किसकी साजिश है......????
आकाशवाणी जाता हूँ तो वहाँ UGC से मान्यता प्राप्त होने के बावजूद ज्योतिर्विज्ञान (ज्योतिष) पे आधारित लेख नहीं पढ़ सकता । हमारा विज्ञान भी साम्प्रयादिक करार दे दिए गया ।  पांच हज़ार साल पुराने हमारे ज्ञान के भंडार वेद आदि कल की आई तुम्हारी एक किताब के नीचे क्यों दबाये जा रहे हैं । क्यूँ मुझे अपने ज्ञान की मान्यता के लिए अपने ही देश के कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते हैं, तब कहीं जाकर विश्वविद्यालयों में वो दया के तौर पे पढ़ाये जाते हैं ।
सरकार बहुमत से चुनी जाती है और वो काम करती है अल्पसंख्यक कल्याण के लिए क्यों..........????
अगर हम बहुसंख्यक हैं और हमारे बहुमत से चुनी हमारी सरकार हमारे ही कल्याण के लिए योजनाएँ क्यों नहीं बना सकती.........????
क्यों हमें अपने पवित्र धर्म व गाय की रक्षा के लिए बकरी की तरह मिमियाना पड़ता है.......????
क्यों मुझे हिंदुत्व की बात कहने के लिए भारतीयता का आवरण ओढ़ना पड़ता है......????
हम अपने धर्म की बात आखिर अपनी ही मातृभूमि पे क्यों नहीं कर सकते.....????
क्यों मुझे ही सर्वधर्म समभाव की बात करनी पड़ती है । क्यों मैं अपने धर्म की बात दृढ़ता से कहने पे कट्टर हो जाता हूँ.........????
इन सारे क्यों का उत्तर है एक क्योंकि हम " सहिष्णु " हैं । इसलिए क्योंकि हम वसुधैव कुटुम्बकम् की नीति को मानने वाले हैं । तुम उन्हें असहिष्णु कह रहे हो जिनके पूर्वज युद्ध भी नियमों से किया करते थे सूर्यास्त के बाद शत्रु चाहे बगल में भी हो उसका वध नहीं करते थे । निहत्थे  पे वार नहीं करते थे । हमारी इन्हीं अच्छाइयों के कारण हम पराजित हुए क्योंकि हम युद्ध में भी " सहिष्णु " थे ।  जिसका परिणाम आज ये है कि तुम हमें " असहिष्णु " कह पा रहे हो ।
पृथ्वीराज चौहान क्यों तुम असहिष्णु न हुए और पहली ही बार में पराजित गोरी का सर धड़ से अलग क्यों न कर दिया.......????
तुम अभिनेता हो और मेरे थोड़े से मित्र भी, पर एक बात बताओ अगर राष्ट्र में इतनी ही असहिष्णुता रही है तो तुम मुस्लिम होने के बावजूद इतने बड़े सितारे कैसे बन गए.....???? 
अपने लिए विशेष दर्जा मांग कर समानता की बात करना जायज है क्यों......????

( आज मैंने पूरी शालीन भाषा में अपनी बात रखी है । कृपया इस पोस्ट की मर्यादा बनाये रखते हुये सबको शेयर करें । क्योंकि मन में ख्याल आया कि हो सकता है अपशब्द शब्दों की चोट को कमजोर करते हों ) ।।
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