Monday, April 13, 2015

13-04-2015


फुर्सत नहीं इंसान को घर
 से मंदिर तक आने की..

और..

ख्वाहिशे शमशान से सीधा
स्वर्ग जाने की रखता ह

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 ""जीतने वाला ही नहीं
बल्कि
'कहाँ हारना है'
ये जानने वाला भी सिकंदर होता है....""
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•••खुदा तु भी कारीगरb निकला..
खेंच दी दो-तीन लकीरों हाथों में..
ये भोला आदमी उसे तकदीर समज बॆठा..



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स्वर्गनो स्टोर

वर्षो पहेला जिंदगी केरा हाइवे पर हुं गयेलो,
ए वखते एक अदभुत एवो अनुभव मने थयेलो !

रोड़ ना कांठे दुकान पर लख्युं'तुं 'स्वर्गनो स्टोर',
कुतुहलपूर्वक त्यां जईने में खखडाव्युं'तुं डॉर !

दरवाज़ामां  एक फ़िरस्तो टोपली लईने आव्यो !
स्टोरनो आखो रस्तो ऐणे सरखे थी समज़ाव्यो !

हाथमां टोपली पकडावी ए बोल्यो-सांभळ भाई!
जे कंइ जोइए ते भेगुं करी लई आवजे तुं आहीं!

कदाच पड़े जो टोपली नानी बीजो फेरो करजे!
निरांत जीवे खरीदजे ने घरने तारा भरजे!

प्रथम स्टॉलथी बे-चार पेकेट धीरज में तो लीधी:
प्रेम अने डाहपणनी साथे समझण पण तो खरीदी:

बेग भरी बे श्रद्घा लीधी,मानवता शें वीसरु?
थयुं के थोड़ी हिम्मत लई लउं पछी ज बहार निसरूं!

संगीत,शांति अने आनंद सौ डिस्काउंट रेटे मळता,
पुरूषार्थ नी खरीदी पर मफत मळती'ती सफळता!

भक्ति मळती'ती स्कीम पर, प्रार्थना पेकेट साथे,
लेवाय एटली लई लीधी, वहेंचवा छुट्टे हाथे!

दया-करुणा लई लीधी, मळती'ती पडतर भावे,
थयुं कदीक जो पड्या हशे तो काम कोइक ने आवे!

टोपली मारी भराई गई'ती जग्या रही'ती थोडी,
रहेम प्रभुनी मळती'ती ते शी रीते दउँ छोड़ी?

काउंटर पर पहोंचीने पूछ्युं केटला पैसा थया?
त्यारे फ़िरस्तानी आँखें प्रेमना अश्रु आवी गया!

बोल्यो : 'वहेंचजे सौने आ, करतो ना सहेजे ढील,
भगवाने खुद हमणां ज चुकवी दीधुं तारु बिल!'

 HAPPY SHOPPING IN SWARG STORE TO EVERYONE.

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कलयुग के सुविचार

रोज भगवान को याद करते हो
पर कभी सोचा  है कि
किसी दिन भगवान  ने याद कर लिया तो..??
लेने के देने पड जायेंगे
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"काम ऐसे करो कि लोग आपको
.किसी दूसरे काम के लिए
बोलें ही नहीं"
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आज के जमाने में सत्संग उसी संत का बढ़िया रहता है जिसके पंडाल में गर्म पोहा-जलेबी और अदरक वाली चाय मिले। वरना ज्ञान तो अब  वॉट्सएप पर भी बंटता है।
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जिस पुरुष ने आज के समय में बीवी, नौकरी, कारोबार और स्मार्टफोन के बीच में सामंजस्य बैठा लिया हो, वह पुरुष नहीं महापुरुष कहलाता है!
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आज सबसे बड़ी कुर्बानी वह होती है, जब हम अपना फोन चार्जिंग से निकाल कर किसी और का फोन लगा दें!
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“दुनिया में हर चीज मिल जाती है..
सिर्फ अपनी गलती नहीं मिलती”
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आसमान को छूने के लिऐ रॉकेट को भी "बोतल" कि जरूरत पडती है।
तो फिर इंसान क्या चीज है।
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आप कितने ही अच्छे काम कर लें, लेकिन लोग
उसे ही याद करते हैं, जो उधार लेकर मरा हो।
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यदि पेड़ों से wi-fi के सिगनल मिलते..
तो हम खूब पेड़ लगाते। अफसोस कि वे हमे आक्सीजन देते है
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आजकल माता-पिता को बस दो ही चिंताएं हैं।
इंटरनेट पर उनका बेटा क्या डाउनलोड कर रहा है और
बेटी क्या अपलोड कर रही है ।
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हर एक इंसान हवा में उड़ता फिरता है,
फिर भी ना जाने जमीन पर इतनी भीड़ क्यों है ।।
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जंगल में चरने गया बैल, दोस्तों के साथ पार्टी में बैठा पुरुष और ब्यूटी पार्लर में गयी महिला..
जल्दी वापस नहीं आते ।।
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जब आप किसी चीज को पूरी शिद्दत से पाने की ख्वाहिश या कोशिश करते हैं तो वह चीज
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उसी शिद्दत से कुछ ज्यादा ही एटीट्यूड दिखाने लगती है।।

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मुस्कुराओ.... क्योंकि यह मनुष्य होने की पहली शर्त है। एक पशु कभी भी नहीं मुस्कुरा सकता।

मुस्कुराओ..... क्योंकि मुस्कान ही आपके चहरे का वास्त विक श्रंगार है। मुस्कान आपको किसी बहुमूल्य  आभूषण के अभाव में भी सुन्दर दिखाएगी।

मुस्कुराओ..... क्योंकि दुनिया का हर आदमी खिले फूलों और खिले चेहरों को पसंद करता है।

मुस्कुराओ..... क्योंकि क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए बुरे शब्द भी अच्छे लगते हैं।

मुस्कुराओ..... क्योंकि परिवार में रिश्ते तभी तक कायम रह पाते हैं जब तक हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहते हैं।

मुस्कुराओ..... क्योंकि आपकी हँसी किसी की ख़ुशी का कारण बन सकती है।

मुस्कुराओ.....क्योंकि मुस्कराना जिन्दा होने की पहली शर्त भी है।

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