Thursday, January 21, 2016

21-01-2016


..........माँ बहुत झूठ बोलती है............
सुबह जल्दी जगाने को, सात बजे को आठ कहती है।
 नहा लो, नहा लो, के घर में नारे बुलंद करती है।
 मेरी खराब तबियत का दोष बुरी नज़र पर मढ़ती है।
 छोटी छोटी परेशानियों पर बड़ा बवंडर करती है।
..........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
थाल भर खिलाकर, तेरी भूख मर गयी कहती है।
 जो मैं न रहूँ घर पे तो, मेरी पसंद की कोई चीज़ रसोई में उससे नहीं पकती है।
 मेरे मोटापे को भी, कमजोरी की सूजन बोलती है।
.........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
दो ही रोटी रखी है रास्ते के लिए, बोल कर,
मेरे साथ दस लोगों का खाना रख देती है।
 कुछ नहीं-कुछ नहीं बोल, नजर बचा बैग में, छिपी शीशी अचार की बाद में निकलती है।
.........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
टोका टाकी से जो मैं झुँझला जाऊँ कभी तो,
समझदार हो, अब न कुछ बोलूँगी मैं,
ऐंसा अक्सर बोलकर वो रूठती है।
 अगले ही पल फिर चिंता में हिदायती हो जाती है।
.........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
तीन घंटे मैं थियटर में ना बैठ पाऊँगी,
सारी फ़िल्में तो टी वी पे आ जाती हैं,
बाहर का तेल मसाला तबियत खराब करता है,
बहानों से अपने पर होने वाले खर्च टालती है।
..........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
मेरी उपलब्धियों को बढ़ा चढ़ा कर बताती है।
 सारी खामियों को सब से छिपा लिया करती है।
 उसके व्रत, नारियल, धागे, फेरे, सब मेरे नाम,
तारीफ़ ज़माने में कर बहुत शर्मिंदा करती है।
..........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
भूल भी जाऊँ दुनिया भर के कामों में उलझ,
उसकी दुनिया में वो मुझे कब भूलती है।
 मुझ सा सुंदर उसे दुनिया में ना कोई दिखे,
मेरी चिंता में अपने सुख भी किनारे कर देती है।
..........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
उसके फैलाए सामानों में से जो एक उठा लूँ
 खुश होती जैसे, खुद पर उपकार समझती है।
 मेरी छोटी सी नाकामयाबी पे उदास होकर,
सोच सोच अपनी तबियत खराब करती है।
..........माँ बहुत झूठ बोलती है।।
 हर माँ को समर्पित
***********************************
बड़ा होके बेटा जब माके प्यारको भूल कर बीबीके पीछे पागल होता है तब माँ क्या कहती है ?सुनिए
राज्यस्तरीय काव्यस्पर्धा में  प्रथम क्रमांक प्राप्त मराठी कविता का हिंदी रूपांतर )
 शरीर में रौंगटे खड़े कर देने वाली कविता 
🌺"माँ की इच्छा"🌺
महीने बीत जाते हैं
साल गुजर जाता है
वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर
मैं तेरी राह देखती हूँ।
              आँचल भीग जाता है
              मन खाली खाली रहता है
              तू कभी नहीं आता
              तेरा मनि आर्डर आता है।
इस बार पैसे न भेज
तू खुद आ जा
बेटा मुझे अपने साथ 
अपने घर लेकर जा।
            तेरे पापा थे जबतक
            समय ठीक रहा कटते
            खुली आँखों से चले गए
            तुझे याद करते करते।
            
अंत तक तुझको हर दिन
बढ़िया बेटा कहते थे
तेरे साहबपन का
गुमान बहुत वो करते थे।
         मेरे ह्रदय में अपनी फोटो
         आकर तू देख जा
         बेटा मुझे अपने साथ
         अपने घर लेकर जा।
अकाल के समय
जन्म तेरा हुआ था 
तेरे दूध के लिए
हमने चाय पीना छोड़ा था।
        वर्षों तक एक कपडे को
        धो धो कर पहना हमने
        पापा ने चिथड़े पहने
        पर तुझे स्कूल भेजा हमने।
चाहे तो ये सारी बातें
आसानी से तू भूल जा
बेटा मुझे अपने साथ
अपने घर लेकर जा।
         घर के बर्तन मैं माँजूंगी
         झाडू पोछा मैं करूंगी
         खाना दोनों वक्त का
         सबके लिए बना दूँगी।
नाती नातिन की देखभाल
अच्छी तरह करूंगी मैं
घबरा मत, उनकी दादी हूँ
ऐंसा नहीं कहूँगी मैं।
          तेरे घर की नौकरानी
          ही समझ मुझे ले जा
          बेटा मुझे अपने साथ
          अपने घर लेकर जा।
आँखें मेरी थक गईं
प्राण अधर में अटका है
तेरे बिना जीवन जीना
अब मुश्किल लगता है।
            कैसे मैं तुझे भुला दूँ
            तुझसे तो मैं माँ हुई
            बता ऐ मेरे कुलभूषण
            अनाथ मैं कैसे हुई ?
अब आ जा तू मेरी कब्र पर
एक बार तो माँ कह जा
हो सके तो जाते जाते
वृद्धाश्रम गिराता जा।
 **************************
 2 काकरोच ICU में एक दूसरे के बगल के बेड पर जख्मी हालत में एडमिट थे...

एक ने दूसरे से पूछा... Hit या  चप्पल??🐾

दूसरे ने जवाब दिया....नही यार, ये लडकियाँ भी देख देख कर इतना चिल्लाती हैं,
कि हार्ट अटैक आ गया..;-) :-D

________________________
😆😆😆😆😛😅😂😂
मुकेश अम्बानी : अगर मै सुबह से
अपनी कार में निकलू तो शाम तक
अपनी आधी प्रॉपर्टी भी नहीं देख
सकता

संता  : हमारे पास भी ऐसी खटारा
कार थी। .... बेच दी:-P
***********************************