Monday, July 20, 2015

12-07-2015

जापान की एक साबुन की फैक्ट्री में एक बार गलती से साबुन के पैकेट में साबुन नहीं डाला जा सका और वो खाली पैकेट ही मार्किट में पहुँच गया जिसे कंपनी को मुआवजा अदा करके ग्राहक से वापस लेना पड़ा।ऐसी गलती दुबारा न हो इसलिए कंपनी में 6,00,000$ खर्च करके एक्सरे और स्कैन करने की मशीन लगवाई ताकि हर साबुन के पैकेट की जाँच हो सके की उसमे साबुन की टिकिया है या ख़ाली है।

यही गलती एक बार हिंदुस्तान की एक साबुन फैक्ट्री में भी हो गयी।दुबारा ऐसी गलती न हो इसलिए फैक्ट्री के मालिक ने पैकिंग लाइन के आखिर में एक बड़ा सा 6000 रु का पंखा लगा दिया जिससे पैकेट खाली होने पर उड़ जाता और भरा होने पर आगे फाइनल पैकिंग को चला जाता।

हिंदुस्तानी जुगाड़मेन्ट के आगे अच्छे अच्छे देशों की टेक्नोलॉजी फेल है।

ये हमारा देश जैसा भी है हमे अपनी जान से प्यारा है ।।
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"માણસાઈ  થી  મઢેલી  હોય છે ,
તે  ઝુંપડી  પણ હવેલી  હોય છે  .....
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उम्र भर के आंसू , ज़िन्दगी भर का ग़म...
मोहब्बत के बाज़ार में बहुत महंगे बिके हम !!उम्र भर के आंसू , ज़िन्दगी भर का ग़म...
मोहब्बत के बाज़ार में बहुत महंगे बिके हम !!
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"रात सुनती रही हम सुनाते रहे,
दर्द की दास्ताँ हम बताते रहे ,
मिटा न सके यादें जिनकी दिल से,
नाम लिख लिख कर उनको मिटाते रहे."
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