Wednesday, August 19, 2015

10-07-2015

Mukesh bhai gets up from his bed room on 15th floor,
takes a swim in the swimming pool on 17^th floor,
has breakfast on the 19th floor,
dresses up for office on 14th floor,
collects his files and office bag from his personal office on 21st floor,
wishes bye to Nita bhabhi on 16th floor,
says ‘see you’ to his children on 13th floor,
and goes down on 3rd floor to self drive his 2.5 Crore BMW to office,
but then he finds out that he has forgotten the car keys upstairs.
But on which floor?
15th , 17th , 19th , 14th , 21st , 16th or 13th?
He phones all his servants, cooks,
maids, secretaries, pool attendants, gym
trainers, lift attendants etc. on all the floors.
There is a hectic search and lot of running around on all the floors, but the key is not traceable.
Fed up, after half an hour of frantic search, Mukesh bhai leaves in a huff in a
chauffeur driven Ikon car.
At 3.30 pm late in the afternoon it is discovered that 4 days back, a temporary replacement maid had washed Mukesh bhai's pant and hung it to dry on a string in the
balcony of 16th floor, with car keys in the pant pocket.
The key had blown away
somewhere in the high winds at 16th floor
level and was never found.
This was detected because of Nita bhabhi’s
habit of checking clothes given for ironing personally.
Meanwhile, after 3 days of the incident, Nita bhabhi with all irritation writ large on her face, complained to Mukesh bhai asking him where he was roaming till 3 am last night.
Mukesh replied that he was at home all night. “Then why did the helicopter land in the terrace at 3 am? I was so worried. I could not sleep whole night," quizzed Nita bhabhi.
"Oh that helicopter”.. That helicopter came from Germany, sent by guys from BMW to deliver the duplicate car key... mumbled Mukesh.
Moral of The Story: A two bed room flat is a better choice.
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डॉक्टर की रात को अचानक नींद खुली,
उसने देखा की उसका टॉयलेट पूरी तरह से ब्लॉक हो गया है ।

उसने अपनी पत्नी से कहा- मैं अभी प्लम्बर को बुलाता हूं !

पत्नी ने कहा- तुम प्लम्बर को रात को तीन बजे मत बुलाओ।

मैं तो बुलाऊंगा,
 हम भी तो जाते हैं रात को अगर कोई मरीज बीमार हो जाये तो!

उसने प्लम्बर को फोन किया, शिकायत की और उसे को रात को ही आने को कहा ।
प्लम्बर ने सुबह आने को कहा तो डॉक्टर ने फिर से वही बात कही- अगर मैं रात को मरीज देखने जा सकता हूं तो तुम क्यों नहीं आ सकते ?

आधी रात को 3:30 बजे प्लम्बर आंखों को मसलता हुआ पहुंचा । डॉक्टर ने उसे ब्लॉक टॉयलेट  दिखाया।

प्लम्बर बाहर गया वहां कुछ टैबलेट पड़ी थी ।

उसने दो उठाई टॉयलेट में डाली और डॉक्टर से कहा- हर आधे घंटे के बाद एक-एक बाल्टी पानी डालते रहना अगर कोई फर्क नहीं पड़े तो सुबह फिर से मुझे कॉल करना हो सकता है कि एण्डोस्कोपि करना पडे ।

अब लाओ  2000/- ऱू
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  હે માનવ

સૌ  સંબંધોનું તું સરવાળો
ન કર,
આ તો બટકણી ડાળ છે
માળો  ન કર,
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. कैसे हो पाये भला इनसान की पहचान...

दोनो नकली हो गये ऑसू और मुस्कान...❤
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व. पु. काळे यांचे
29 विचार जरुर वाचा

1)मैत्रीचे धागे कोळ्यापेक्षाही बारीक असतात,
पण लोखंडाच्या तारेपेक्षाही मजबूत असतात..!
तुटले तर श्वासानेही तुटतील,
नाहीतर वज्राघातेनेही तुटणार नाहीत..!!
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2)संवाद दोनच माणसांचा होतो, त्याच्यात
 तिसरा माणूस आला की त्या गप्पा होतात..!!
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3)कोमलतेत प्रचंड सामर्थ्य असतं
 कोमलता म्हणजे दुर्बलता नव्हे ..!
म्हणूनच खडक झिजतात प्रवाह रुंदावत जातो..!!
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4)जाळायला काही नसलं तर पेटलेली
 काडीसुद्धा आपोआप विझते..!!
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5)खर्च झाल्याच दु:ख नसतं, हिशोब
 लागला नाही की त्रास होतो..!!
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6)प्रॉब्लेम्स नसतात कुणाला..? ते शेवटपर्यंत
 असतात..! पण प्रत्येक प्राॅब्लेमला उत्तर हे असतंच.
ते सोडवायला कधी वेळ हवा असतो,
कधी पैसा तर कधी माणस..!या तिन्ही गोष्टी
 पलीकडचा प्राॅब्लेम अस्तित्वातच नसतो..!!
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7)आठवणी या मुंग्यांच्या वारुळाप्रमाणे असतात..!
वारूळ पाहून आतमध्ये किती मुंग्या असतील याचा
 अदमास घेता येत नाही. पण एका मुंगीने बाहेरचा
 रस्ता धरला की एकामागोमाग असंख्य मुंग्या बाहेर
 पडतात. आठवणींचही तसंच आहे..!!
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8)शस्त्रक्रिया होण्यापूर्वी रोगी
 घाबरलेला असतो, बरा झाल्यावर
 शिवलेली जखम तोच कौतुकाने दाखवत सुटतो..!!
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9)घेणाऱ्याच्या अपेक्षेपेक्षा देणार्‍याची ऐपत
 नेहमीच कमी असते..!!
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10)माणूस अपयशाला भीत नाही.अपयशाचं
 खापर फोडायला काहीच मिळालं नाही तर..?
याची त्याला भीती वाटते..!!
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11)बोलायला कुणीच नसणं यापेक्षा आपण
 बोललेलं समोरच्यापर्यंत न पोचणं हि शोकांतिका
 जास्त भयाण..!!
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12)कुणीही कसं दिसावं यापेक्षा कसं असावं याला
 महत्व आहे. ते शक्य नसेल तर जास्तीत जास्त कसं
 नसावं याला तरी नक्कीच महत्व आहे.
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13)पाण्यात राहायचे तर माश्यांशी नुसती मैत्री करून
 भागत नाही तर स्वत:ला मासा बनावे लागते.
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14)वादळं जेव्हा येतात तेव्हा आपण आपल्या मातीला
 घट्ट रुजुन रहायचं असतं. ती जितक्या वेगाने
 येतात तितक्याच वेगाने निघून जातात. वादळ
 महत्वाचे नसते प्रश्न असतो आपण त्याच्याशी कशी
 झुंज देतो आणि त्यातून कितपत बऱ्या अवस्थेत
 बाहेर येतो याचा.
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15)कबुतराला गरुडाचे पंख लावता येतीलही, पण
 गगन भरारीचं वेड रक्तातच असावं लागतं, कारण
 आकाशाची ओढ दत्तक घेता येत नाही .
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16)आकाशात जेव्हा एखादा कृत्रीम ग्रह सोडतात तेव्हा
 गुरुत्वाकर्षणाच्या सीमेबाहेर त्याला पिटाळुन
 लावेपर्यंतच सगळा संघर्ष असतो. त्याने एकदा स्वतः गती घेतली की उरलेला प्रवास आपोआप होतो.
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17)समाजात विशिष्ट उंची गाठेपर्यंत जबर संघर्ष
 असतो. पण एकदा अपेक्षित उंचीवर पोचलात की
 आयुष्यातल्या अनेक समस्या ती उंचीच सोडवते.
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18)संध्याकाळच्या संधीप्रकाशातही जो टवटवीत
 राहीला त्याने दिवस जिंकला.
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19)'अंत' आणि 'एकांत' ह्यापैकी माणूस एकांतालाच
 जास्त घाबरतो.
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20) वाहतो तो झरा आणि थांबते ते डबकं!
डबक्यावर डास येतात आणि झऱ्यावर राजहंस!
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21)खऱ्या विद्यार्थ्याला कधीच सुट्टी नसते.सुट्टी ही
 त्याच्यासाठी नवं काहीतरी शिकण्याची संधी असते.
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22)सुरुवात कशी झाली यावरच बऱ्याच घटनांचा
 शेवट अवलंबून असतो.
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23)चुकतो तो माणूस आणि चुका सुधारतो देवमाणूस!
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24)तुम्ही आयुष्यात किती माणसे जोडली यावरुन
 तुमची श्रीमंती कळते.
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25)औदार्य म्हणजे तुमच्या क्षमतेपेक्षा अधिक देणं
 आणि आत्मसन्मान म्हणजे तुमच्या
 गरजेपेक्षा कमी घेणं.
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26)गंजण्यापेक्षा झिजणे केव्हाही चांगले
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27)अत्यंत महागडी, न परवडणारी खर्‍या अर्थाने
 ज्याची हानी भरुन येत नाही अशी गोष्ट किती उरली
 आहे ह्याचा हिशोब नसताना आपण जी वारेमाप
 उधळतो ती म्हणजे "आयुष्य".
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28)भूक आहे तेवढे खाणे ही प्रकृती,भूक आहे त्यापेक्षा
 जास्त खाणे ही विकृती आणि वेळप्रसंगी स्वत:
उपाशी राहून दुसऱ्याची भूक भागवणे ही संस्कृती!
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29)आपण किती पैसा मिळवला यापेक्षा, तो खर्च
 करून आपण किती समाधान मिळवले, हे जो
 पाहतो तो खरा आनंदी व्यक्ती असतो
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