Monday, May 11, 2015

10-05-2015

On Mother's Day
Bit Lengthy but worth the time
 एक बार इस कविता को दिल से पढ़िये
शब्द शब्द में गहराई है...

जब आंख खुली तो अम्‍मा की
गोदी का एक सहारा था
उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको
भूमण्‍डल से प्‍यारा था

उसके चेहरे की झलक देख
चेहरा फूलों सा खिलता था
उसके दूध की एक बूंद से
मुझको जीवन मिलता था

हाथों से बालों को नोंचा
पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस मां ने पुचकारा
हमको जी भर के प्‍यार किया

मैं उसका राजा बेटा था
वो आंख का तारा कहती थी
मैं बनूं बुढापे में उसका
बस एक सहारा कहती थी

उंगली को पकड. चलाया था
पढने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज
अन्‍तर में सदा सहेजा था

मेरे सारे प्रश्‍नों का वो
फौरन जवाब बन जाती थी
मेरी राहों के कांटे चुन
वो खुद गुलाब बन जाती थी

मैं बडा हुआ तो कॉलेज से
इक रोग प्‍यार का ले आया
जिस दिल में मां की मूरत थी
वो रामकली को दे आया

शादी की पति से बाप बना
अपने रिश्‍तों में झूल गया
अब करवाचौथ मनाता हूं
मां की ममता को भूल गया

हम भूल गये उसकी ममता
मेरे जीवन की थाती थी
हम भूल गये अपना जीवन
वो अमृत वाली छाती थी

हम भूल गये वो खुद भूखी
रह करके हमें खिलाती थी
हमको सूखा बिस्‍तर देकर
खुद गीले में सो जाती थी

हम भूल गये उसने ही
होठों को भाषा सिखलायी थी
मेरी नीदों के लिए रात भर
उसने लोरी गायी थी

हम भूल गये हर गलती पर
उसने डांटा समझाया था
बच जाउं बुरी नजर से
काला टीका सदा लगाया था

हम बडे हुए तो ममता वाले
सारे बन्‍धन तोड. आए
बंगले में कुत्‍ते पाल लिए
मां को वृद्धाश्रम छोड आए

उसके सपनों का महल गिरा कर
कंकर-कंकर बीन लिए
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के
आभूषण तक छीन लिए

हम मां को घर के बंटवारे की
अभिलाषा तक ले आए
उसको पावन मंदिर से
गाली की भाषा तक ले आए

मां की ममता को देख मौत भी
आगे से हट जाती है
गर मां अपमानित होती
धरती की छाती फट जाती है

घर को पूरा जीवन देकर
बेचारी मां क्‍या पाती है
रूखा सूखा खा लेती है
पानी पीकर सो जाती है

जो मां जैसी देवी घर के
मंदिर में नहीं रख सकते हैं
वो लाखों पुण्‍य भले कर लें
इंसान नहीं बन सकते हैं

मां जिसको भी जल दे दे
वो पौधा संदल बन जाता है
मां के चरणों को छूकर पानी
गंगाजल बन जाता है

मां के आंचल ने युगों-युगों से
भगवानों को पाला है
मां के चरणों में जन्‍नत है
गिरिजाघर और शिवाला है

हिमगिरि जैसी उंचाई है
सागर जैसी गहराई है
दुनियां में जितनी खुशबू है
मां के आंचल से आई है

मां कबिरा की साखी जैसी
मां तुलसी की चौपाई है
मीराबाई की पदावली
खुसरो की अमर रूबाई है

मां आंगन की तुलसी जैसी
पावन बरगद की छाया है
मां वेद ऋचाओं की गरिमा
मां महाकाव्‍य की काया है

मां मानसरोवर ममता का
मां गोमुख की उंचाई है
मां परिवारों का संगम है
मां रिश्‍तों की गहराई है

मां हरी दूब है धरती की
मां केसर वाली क्‍यारी है
मां की उपमा केवल मां है
मां हर घर की फुलवारी है

सातों सुर नर्तन करते जब
कोई मां लोरी गाती है
मां जिस रोटी को छू लेती है
वो प्रसाद बन जाती है

मां हंसती है तो धरती का
ज़र्रा-ज़र्रा मुस्‍काता है
देखो तो दूर क्षितिज अंबर
धरती को शीश झुकाता है

माना मेरे घर की दीवारों में
चन्‍दा सी मूरत है
पर मेरे मन के मंदिर में
बस केवल मां की मूरत है

मां सरस्‍वती लक्ष्‍मी दुर्गा
अनुसूया मरियम सीता है
मां पावनता में रामचरित
मानस है भगवत गीता है

अम्‍मा तेरी हर बात मुझे
वरदान से बढकर लगती है
हे मां तेरी सूरत मुझको
भगवान से बढकर लगती है

सारे तीरथ के पुण्‍य जहां
मैं उन चरणों में लेटा हूं
जिनके कोई सन्‍तान नहीं
मैं उन मांओं का बेटा हूं

हर घर में मां की पूजा हो
ऐसा संकल्‍प उठाता हूं
मैं दुनियां की हर मां के
चरणों में ये शीश झुकाता हूं..


कवी अज्ञात
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મીઠા મધુ ને મીઠા મેહુલા રે લોલ
    એથી મીઠી તે મોરી માત રે
    જનનીની જોડ સખી! નહી જડે રે લોલ.

    પ્રભુના એ પ્રેમતણી પૂતળી રે લોલ,
    જગથી જૂદેરી એની જાત રે … જનનીની

    અમીની ભરેલ એની આંખડી રે લોલ,
    વ્હાલનાં ભરેલાં એના વેણ રે … જનનીની

    હાથ ગૂંથેલ એના હીરના રે લોલ,
    હૈયું હેમંત કેરી હેલ રે … જનનીની

    દેવોને દૂધ એનાં દોહ્યલા રે લોલ,
    શશીએ સિંચેલ એની સોડ્ય રે … જનનીની

    જગનો આધાર એની આંગળી રે લોલ,
    કાળજામાં કૈંક ભર્યા કોડ રે … જનનીની

    ચિત્તડું ચડેલ એનું ચાકડે રે લોલ,
    પળના બાંધેલ એના પ્રાણ રે … જનનીની

    મૂંગી આશિષ ઉરે મલકતી રે લોલ,
    લેતા ખૂટે ન એની લહાણ રે … જનનીની

    ધરતી માતા એ હશે ધ્રૂજતી રે લોલ,
    અચળા અચૂક એક માય રે … જનનીની

    ગંગાનાં નીર તો વધે ઘટે રે લોલ,
    સરખો એ પ્રેમનો પ્રવાહ રે … જનનીની

    વરસે ઘડીક વ્યોમવાદળી રે લોલ,
    માડીનો મેઘ બારે માસ રે … જનનીની

    ચળતી ચંદાની દીસે ચાંદની રે લોલ,
    એનો નહિ આથમે ઉજાસ રે
    જનનીની જોડ સખી! નહી જડે રે લોલ.

    હેપ્પી મધર્સ ડે !
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🙏 एक पिता की प्रार्थना अपनी बेटी की शादी में अपने दामाद से🙏
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माँ की ममता का सागर ये,
          मेरी आँखों का तारा है !
कैसे बतलाऊँ तुमको ,
          किस लाड प्यार से पाला है !!

तुम द्वारे मेरे आए हो,
          मैं क्या सेवा कर सकता हूँ !
ये कन्या रूपी नवरत्न तुम्हें,
          मैं आज समर्पित करता हूँ !!

मेरे ह्रदय के नील गगन का,
          ये चाँद सितारा है !
मैं अब तक जान ना पाया था,
          इस पर अधिकार तुम्हारा है !!

ये आज अमानत लो अपनी,
         करबद्ध 🙏 निवेदन करता हूँ !
ये कन्या रूपी नवरत्न तुम्हें,
         मैं आज समर्पित करता हूँ !!

इससे कोई भूल होगी,
         ये सरला है , सुकुमारी है !
इसकी हर भूल क्षमा करना ,
         ये मेरे घर की राजदुलारी है !!

मेरी कुटिया की शोभा है,
         जो तुमको अर्पण करता हूँ !
ये कन्या रूपी नवरत्न तुम्हें ,
         मैं आज समर्पित करता हूँ !!

भाई से आज बहन बिछ्ड़ी ,
        माँ से बिछ्ड़ी उसकी ममता !
बहनों से आज बहन बिछ्ड़ी ,
        लो तुम्हीं इसके आज सखा !!

मैं आज पिता कहलाने का,
       अधीकर समर्पित करता हूँ !
ये कन्या रूपी नवरत्न तुम्हें,
       मैं आज समर्पित करता हूँ !!

जिस दिन था इसका जन्म हुआ,
       ना गीत हुए ना बजी शहनाई !
पर आज विदाई के अवसर पर,
       मेरे घर बजती खूब शहनाई  !!

यह बात समझकर मैं,
        मन ही मन रोया 😭 करता हूँ !
ये गौकन्या रूपी नवरत्न तुम्हें,
         मैं आज समर्पित करता हूँ !!
ये गौकन्या रूपी नवरत्न तुम्हें,
     मैं आज समर्पित करता हूं .....
😌😌😌
👌 बहुत सुन्दर लाईन 👌

दहेज़ में बहु क्या लायी...
 ये सबने पूछा...

लेकिन एक बेटी क्या क्या छोड़ आई...
किसी ने सोचा ही नहीं...

These Beautyfull lines Dedicated to all Daughters & Their Fathers.